$7.00
Genre
Other
Print Length
300 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2001
ISBN
8188266264
Weight
310 Gram
भारत जैसे बहुरंगी संस्कृतिवाले देश में जहाँ अनेक धर्म, भाषाएँ, पर्व-त्योहार, रीति-रिवाज तथा खान-पान हैं-रेडियो प्रसारण ने अपने दायरे में सबको समेटा है| इसके कारण स्थानीय संस्कृति, लोक-साहित्य, संगीत आदि को संरक्षण मिला है| वास्तव में रेडियो प्रसारण के कारण ही यह धरोहर श्रव्य रूप में संरक्षित है| सार्वजनिक हितों की अनेक प्रकार की सूचनाएँ नियमित रेडियो प्रसारण का हिस्सा हैं| विश्वास है, सुधी पाठक इस पुस्तक के माध्यम से रेडियो प्रसारण से संबंधित सभी जिज्ञासाओं का शमन कर सकेंगे और रेडियो प्रसारण के क्षेत्र में अपने ज्ञान में वृद्धि करेंगे|
‘‘भारत में प्रसारण के विकास हेतु विशेष अवसर हैं| यहाँ दूरियों और विस्तृत भूभाग के कारण अनेक संभावनाएँ हैं| भारत के सुदूर गाँवों में कई अधिकारी तथा अन्य व्यक्ति हैं जिन्हें अपने-अपने काम के कारण दूर-दराज के गाँवों में जाना पड़ता है, जहाँ वे अपने मित्रों के साथ अथवा मानवीय साहचर्य के इच्छुक होते हैं| कई ऐसे लोग हैं, जो सामाजिक परंपराओं के कारण मनोरंजन हेतु घर से बाहर नहीं जा सकते| उनके तथा असंख्य अन्य लोगों के लिए प्रसारण एक वरदान की तरह होगा| इसकी संभावनाएँ अनंत हैं, जिनकी हमने अभी पूरी तरह कल्पना नहीं की है| भारत में प्रसारण आज शैशवावस्था में है; लेकिन मुझे पूर्ण विश्वास है कि शीघ्र ही इसके श्रोताओं की संख्या कई गुना बढ़ जाएगी और विज्ञान के इस नए प्रयोग के प्रशंसक भारत के हर भाग में होंगे|’
-लॉर्ड इरविन द्वारा 25 जुलाई, 1927 को बंबई केंद्र के उद्घाटन के अवसर पर दिया गया वक्तव्य|
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