Sarhad Ke Aar-Paar Ki Shayari – Rafi Raza Aur Tufail Chaturvedi (सरहद के आर-पार की शायरी - रफ़ी रज़ा और तुफ़ैल चतुर्वेदी)

By Tufail Chaturvedi (तुफैल चतुवेर्दी)

Sarhad Ke Aar-Paar Ki Shayari – Rafi Raza Aur Tufail Chaturvedi (सरहद के आर-पार की शायरी - रफ़ी रज़ा और तुफ़ैल चतुर्वेदी)

By Tufail Chaturvedi (तुफैल चतुवेर्दी)

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Specifications

Genre

General

Print Length

192 pages

Language

Hindi

Publisher

Rajpal and sons

Publication date

1 January 2019

ISBN

9789386534972

Weight

272 Gram

Description

एक साथ पहली बार एक किताब में एक पाकिस्तानी और एक हिन्दुस्तानी शायर की ग़ज़लें

इस किताब में शामिल दोनों शायरों की विशेषता है कि ये सहज और सरल शब्दों में गम्भीर से गम्भीर विचार सफलतापूर्वक कह जाते हैं। जहाँ रफ़ी रज़ा को सोशल मीडिया पर अपने विचारों के कारण बहुत से लोगों की नाराज़गी उठानी पड़ती है तो वहीं तुफ़ैल चतुर्वेदी का भी यही हाल है।

पाकिस्तान के शायर, रफ़ी रज़ा, की शायरी में जब मुहब्बत दाख़िल होती है तो पूरी कायनात में फूल से खिलने लगते हैं। ग़ुस्सा फूटता है तो बदला नहीं बेबसी होती है। रफ़ी रज़ा जब हैरत के संसार में प्रवेश करते हैं तो पाठक भी हैरतज़दा हो जाते हैं । वो बने-बनाये ढर्रे पर नहीं चलना चाहते बल्कि दूसरे विद्वानों के अनुभवों से लाभ लेते हुए सब कुछ स्वयं भी अनुभव करना चाहते हैं। रफ़ी रज़ा की ग़ज़लें पहली बार देवनागरी में प्रकाशित हो रही हैं।

चुनिंदा बातों को छोड़कर हिन्दुस्तान के शायर, तुफ़ैल चतुर्वेदी, का व्यक्तित्व काफ़ी हद तक रफ़ी रज़ा से मिलता-जुलता है। लेकिन उनकी शायरी का रंग अलग है। तुफ़ैल चतुर्वेदी का कहना है-
कोई झोंका नहीं है ताज़गी का
तो फिर क्या फ़ायदा इस शायरी का
उनके शे’रों में व्यंग्य की धार भी है और ‘करुण रस रसराज है’ वाली बात भी सत्य साबित होती है।


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