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Kabir - Kaljayi Kavi Aur Unka Kavya (कबीर - कालजयी कवि और उनका काव्य)

Price: $ 4.10

Condition: New

Isbn: 9789393267191

Publisher: Rajpal and sons

Binding: Paperback

Language: Hindi

Genre: Poerty,General,

Publishing Date / Year: 2023

No of Pages: 112

Weight: 192 Gram

Total Price: $ 4.10

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गागर में सागर की तरह इस पुस्तक में हिन्दी के कालजयी कवियों की विशाल काव्य-रचना में से श्रेष्ठतम और प्रतिनिधि काव्य का संकलन विस्तृत विवेचन के साथ प्रस्तुत है। कबीर (1398 -1515) भारतीय साहित्य की बड़ी विभूति हैं। उनके समान खरी-खरी कहने वाला कवि दूसरा नहीं हुआ। अपनी साखियों में पाखण्ड विरोध, ईश्वर निष्ठा और गुरु के प्रति समर्पण के चलते उनकी ऐसी लोक व्याप्ति हुई कि हिन्दी और हिन्दीतर जन सामान्य में भी आज तक उनका नाम लिया जाता है। उनका अध्यात्म अपने स्वाध्याय से अर्जित है तो खंडन का साहस भी उनके जीवनानुभवों का प्रमाण है। ‘जो घर फूंके आपना’ सरीखी बात कहने का साहस ही कबीर को कबीर बनाता है। इस पुस्तक में कबीर के अनेक संग्रहों से तीन तरह की रचनाओं साखी, सबद और रमैणी से चुनकर उनके श्रेष्ठ काव्य का चयन प्रस्तुत किया गया है। इन कविताओं में कबीर के तेजस्वी व्यक्तित्व की झलक है तो उनकी ‘दरेरा’ देकर कहने वाली खरी-खरी बात का स्वाद भी। इस चयन का सम्पादन डॉ. माधव हाड़ा ने किया है जिनकी ख्याति भक्तिकाल के मर्मज्ञ विद्वान के रूप में है। उदयपुर विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर और हिन्दी विभाग के अध्यक्ष रहे डॉ. हाड़ा हिन्दी मध्यकालीन साहित्य और कविता के विशेषज्ञ हैं। इन दिनों डॉ. हाड़ा भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला की पत्रिका चेतना के सम्पादक हैं।