$11.95
Genre
Print Length
212 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2011
ISBN
818582794X
Weight
365 Gram
अपनी बिरादरी में क्या अच्छे लड़कों की कमी है?'' '' कमी तो नहीं है, लेकिन मेरी बेटी उस लड़के से प्यार करती है | '' '' क्या कहा आपने? प्यार, यानी मुहब्बत! आपको क्या मालूम नहीं कि हमारे मजहब में शादी के पहले लड़की-लड़के को एक- दूसरे को देखना तक गुनाह है- और आप कह रहे हैं कि आपकी बेटी मुहब्बत करती है | फिर तो वह उस हिंदू लड़के से बराबर मिलती-जुलती होगी | यह तो कुफ्र है | जानते हैं, हमारे मजहब में उसकी सजा क्या है? संगसार, यानी पत्थरों से मार-मारकर खत्म कर देना | '' '' कौन मारेगा मेरी बेटी को?'' सलाहुद्दीन खाँ ने तैश में आकर कहा, '' कौन है वह पहलवान, जरा मैं भी देखूँ! मौलाना, जो मेरी बेटी की तरफ उलटी निगाहों से देखेगा, मैं उसकी आँखें निकाल लूँगा!'' -इसी पुस्तक से आज इतनी प्रगति के पश्चात् भी हमारे समाज से रूढ़िवादिता, आडंबर और अंध धार्मिकता गई नहीं है | हमारा समाज आज भी तमाम सड़ी-गली मान्यताओं को ढो रहा है, जो बिला वजह की हैं | प्रस्तुत उपन्यास में एक ऐसी प्रगतिशील लड़की का चरित्र चित्रण है, जो आडंबरपूर्ण मान्यताओं और रूढ़िवादिता के विरुद्ध खुलकर सामने आती है और अनेक नवयुवकों व युवतियों को प्रेरणा देती है | उपन्यास में अंडरवर्ल्ड की वास्तविकताओं और मुंबई तथा दुबई आदि में बैठे माफिया सरगनाओं की देश-विरोधी गतिविधियों आदि का सप्रमाण वर्णन पुस्तक के कद को बढ़ा देता है | एक रोचक व रोमांचक उपन्यास, जिसे एक बार पढ़ना प्रारंभ करने पर फिर समाप्ति ही होती है |
0
out of 5