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Genre
Other, Social Science
Print Length
175 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2012
ISBN
9789350489826
Weight
320 Gram
नानाथ बत्राजी भारतीय शिक्षा के लिए एक समर्पित योद्धा की तरह आजीवन संघर्ष करते रहे हैं| इस लक्ष्य की ओर बढ़ते हुए महान् चिंतक ही नहीं बल्कि देश के सम्मान की खातिर उन्होंने शिक्षा एक्टिविस्ट के रूप में सरकार द्वारा प्रायोजित पाठ्य-पुस्तकों एवं नीतियों में दरशाई गई मनोवृत्ति और विषयवस्तु पर सवाल उठाए|
एक चिंतक के रूप में उन्होंने सभी स्तरों पर तथा सभी आयामों में समसामयिक शिक्षा प्रणाली में मौजूद विसंगतियों के बारे में गहन विचार किया है| लंबे समय तक इनकी सोच, विचार-विमर्श महत्त्वपूर्ण देश की दीर्घ इतिहास, शैक्षिक विचारधारा, परंपरा एवं प्रक्रियाओं पर फोकस है, जिनकी जानबूझकर उपेक्षा की जाती रही है| बत्राजी भारतीय विचारधारा से शैक्षिक पहलू को पुन: जोड़ते हुए शिक्षा के स्वरूप को बदलने की दिशा में पूर्ण निष्ठा से प्रयासरत हैं|
यह पुस्तक विद्वान् लेखक के वर्षों की विचारणा शक्ति तथा अथक संघर्ष का दस्तावेज है| इस पुस्तक में भारत में शिक्षा के विभिन्न पहलुओं की पहचान करके विचार-विमर्श करने के साथ-साथ उनका विश्लेषण किया गया है| इनमें भारतीय शिक्षा के स्वरूप, चरित्र-निर्माण, लड़कियों की शिक्षा, व्यक्तित्व विकास, भारतीय विज्ञान, भारतीय गणित, प्रोफेशनल संस्थाओं में मूल्य-शिक्षण, विचारों का प्रदूषण, कुछ महान् शिक्षक, ब्रिटिश काल से पूर्व भारतीय शिक्षा, वैकल्पिक शिक्षा, मूल्यांकन और अत्यंत रोचक उपसंहार-शिक्षा की आत्मकथा जैसे विविध विषयों पर विचार व्यक्त किए गए हैं| आशा है, शिक्षा-प्रशासक, अध्यापक, विद्यार्थी तथा सामान्य जन यह पुस्तक पढ़ेंगे, क्योंकि जरूरी है कि व्यापक स्तर पर आम जनता की शिक्षा विषयक अनवरत एवं महत्त्वपूर्ण परिचर्चा में भागीदारी हो|
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