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Genre
Novels & Short Stories
Print Length
199 pages
Language
Hindi
Publisher
Manjul Publication
Publication date
1 January 2017
ISBN
9780143440468
Weight
299 Gram
आपके सवाल, देवदत्त के जवाब - सीज़न 2 पर आधारित श्रोताओं व पाठकों द्वारा पूछे गए प्रश्नो के उत्तर
महाभारत का उल्लेखनीय कुटुम्ब सूर्य वंश कहलाता है अथवा चंद्र वंश?
रामायण किसी युग में घटित हुई थी? क्या यह केवल एक ही बार घटी थी?
पूजा की थाली में हल्दी, कुमकुम, भस्म और चंदन का क्या महत्व है?
करवा चौथ के प्रसिद्द व्रत से कौनसी कथा जुडी है?
EPIC चैनल के 'देवलोक: देवदत्त पटनायक के संग' के पहले सीज़न से मिली शानदार प्रतिक्रिया के बाद, देवदत्त ने अपने पाठकों व श्रोताओं को आमंत्रित किया कि वे उनसे हिन्दू पौराणिक कथाओं के विषय में प्रश्न पूछें, जिनकी उन्होंने अपने धारावाहिक की लगभग 30 कड़ियों में उत्तर दिया है. वे आपको हिन्दू पौराणिक गाथाओं की जीवंत विविधतता से परिचित करवा रहे हैं.
देवलोक के आख्यानों, पौराणिक गाथाओं, देश-विदेश के मिथकों, अनुष्ठानो, कर्मकांडों, परम्पराओं व रीति-रिवाज़ों की मंत्रमुग्ध और विस्मित कर देने वाली इस अनूठी यात्रा में सहभागी बनने का आनंद हे कुछ और है.
यह पुस्तक हमारी संस्कृति और सभ्यता की जड़ों का प्रतिनिधित्व करती हैं. जब लेखक, सहज, सरल और बोधगम्य शैली में कठिन से कठिन दार्शनिक विषयों, चिंतन-मनन से जुड़े आख्यानों में छिपे प्रतीकों व सरल अर्थों को प्रकट करते हैं, तो उस समय वे उन जड़ों को संचित कर रहे हैं, जिनके बल पर आज हमारी अखंड संस्कृति रूपी सलिला, सदियाँ बीतने के बावजूद, गर्व से अक्षुण्ण प्रवाहित होती चली जा रही हैं.
लेखक के पास ऐसी रोचक व मनोरंजक कथाओं, तथ्यों, प्रसंगों व आख्यानों का भंडार है कि उन्हें सराहे बिना नहीं रहा जा सकता. केवल भारत का ही नहीं, विभिन्न सभ्यताओं की अदभुत व्याख्याएँ करने में सिद्धहस्त लेखक के पास अपने श्रोताओं, दर्शकों व पाठकों को बाँधे रखने की अदभुत कला है.
इस पुस्तक में आपको ध्यान व दर्शन, आस्तिक व नास्तिक, सूर्य वंश व चंद्र वंश में अंतर पता चलेगा. आपको अपने प्रिय हनुमान की विभिन्न कथाएं पढ़ने को मिलेंगी और साथ ही विष्णु के उग्र अवतारों, वराह व नरसिंह के विषय में भी जान सकेंगे. आप यह जान पाएँगे कि हमारे जीवन में लक्ष्मी व सरस्वती के बीच सदा संघर्ष क्यों रहता है और पौराणिक कथाओं में स्त्रियां सबसे दिलचस्प पात्रों की तरह क्यों उभरती हैं.
देवदत्त के साथ हिंदू पौराणिक गाथाओं के जादुई संसार की यात्रा पर निकल कर आप वहाँ से लौट कर आना नहीं चाहेंगे.
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