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Tum (तुम)

Price: $ 27.77

Condition: New

Isbn: 9788183226868

Publisher: Manjul Publication

Binding: Paperback

Language: Hindi

Genre: Poetry,

Publishing Date / Year: 2017

No of Pages: 995

Weight: 1095 Gram

Total Price: $ 27.77

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डॉ संजय सक्सेना की पूर्व प्रकाशित पुस्तकें, 'कुसुम-शती', 'सुमि सागर' और 'मन-मंथन' संज्ञा वाचक काव्य पुस्तकें थीं. उनकी नवीनतम रचना 'तुम' एक सर्वनाम रुपी काव्य है. इस काव्य को उन्होंने कॉफ़ी टेबल पुस्तक के रूप में प्रस्तुत किया है. शब्दों के साथ के भावों की अभिव्यक्ति चित्रों द्वारा भी दर्शायी गयी है. कविता को ठेठ साहित्यिकता और ओढ़ी हुई विव्दता से उतार कर बिलकुल साधारण जन की कविता बनाने का उनका यह प्रयास अपने आप में अनूठा व प्रशंसनीय है. इस संग्रह में बहुत बारीकी से श्रृंगार लिखा गया है. संग्रह की रचनाएँ मुक्त छंद में गीतनुमा एवं ग़ज़लनुमा हैं. प्रेम को पूजा के स्तर पर लाना कवि का करिश्मा हे है. - चन्द्रसेन विराट (प्रसिद्ध कवि एवं ग़ज़लकार) इस किताब में मंत्रमुग्ध कर दिया है. यह कोई क़िताब नहीं बल्कि एक प्रेम ग्रन्थ है. मैंने पिछले 30 वर्षों में ऐसा ग्रन्थ नहीं देखा. यह एक अदभुत काव्य-कृति है. -बी. एल. गौड़ (प्रसिद्ध कवि) संग्रह में श्रृंगार की कविताएँ होते हुए भी उनमें दर्शन है. यह काव्य-कृति आपने वाली पीढ़ियों को जीवन जीने का सलीका सिखायेगी. - विश्वास सारंग (मंत्री, म.प्र. शासन, भोपाल) डॉ. संजय सक्सेना की रचनाओं से गुज़रते हुए लग सकता है कि वे सौंदर्य और श्रृंगार के कवि हैं. लेकिन कविताओं में गहराई से उतरने पर अनुभव होता है कि उनकी रचनाओं के केंद्र में स्थूलता नहीं है, बल्कि सौंदर्य के साथ जुड़े अंतरंग और सूक्ष्म प्रवाहों को पहचानने का सामर्थ्य वे अर्जित कर चुके हैं. उनकी कविताएँ तब एकान्तिक नहीं रह रह जाती, जब वे लिखते हैं- "किस विधि से तुझे पूजूँ किस विधि करूँ तेरा ध्यान किस मंदिर में तुझे सजाऊँ कि बनी रहे तू बस मेरी भगवान" एक नितान्त वैयक्तिक अनुभूति को चेतना के विराट पटल तक विस्तार देना कवि की विशिष्टता है. - कैलाश चंद्र पंत (मंत्री संचालक, राष्ट्र भाषा प्रचार समिति, भोपाल)