$11.99
Print Length
204 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2018
ISBN
9788173156786
Weight
355 Gram
साहित्य, शिक्षा और संस्कृति-ये तीनों व्यापक विषय हैं| इनमें जाति, धर्म और देश समाहित हैं| किसी भी देश की उन्नति और उसका गौरव इन्हीं पर निर्भर करता है| साहित्य सभ्यता का द्योतक है| साहित्य की ओट में ही काल विशेष की विशेषता छिपी रहती है, जिसे समय-समय पर साहित्यकार उद्घाटित करता है| शिक्षा जीवन में व्याप्त अंधकार को दूर कर हमारे जीवन और वातावरण में सामंजस्य स्थापित करती है| वह हमें आत्मनिर्भर बनाती है| शिक्षित समाज ही उन्नति-प्रगति के पथ पर आगे बढ़ता है|
भारतीय संस्कृति अपने आप में अनोखी है| यहाँ पर मानसिक स्वतंत्रता सदैव अबाधित रही है| हमारी आधुनिक संस्कृति पर अनेकानेक प्रकार के वादों का प्रभाव पड़ा है| बहुत सी बातों में विभिन्नता दिखाई देती है; परंतु यह सब होते हुए भी सारे भारत में एकसूत्रता विद्यमान है|
साहित्य, शिक्षा और संस्कृति में राजेंद्र बाबू द्वारा समाज के इन तीन प्रमुख अंगों के विषय में प्रकट ओजपूर्ण विचार संकलित हैं| इनके माध्यम से पाठक राजेंद्र बाबू के विराट् व्यक्तित्व के दर्शन कर सकेंगे|
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