By Kaka Hatharasi (काका हथरसी), Giriraj Sharan (गिरिराज शरण)
By Kaka Hatharasi (काका हथरसी), Giriraj Sharan (गिरिराज शरण)
$9.00
Print Length
180 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2014
ISBN
8173150990
Weight
310 Gram
वस्तुतः व्यंग्य में यदि हास्य नहीं होगा तो वह कोतवाल का हंटर हो जायेगा| उसकी पोड़ा से तिलमिलाकर अभियुक्त कैसा अनुभव करेगा, उसे आप अच्छी तरह समझ सकते हैं| इस कार्य के लिए न्यायालय पहले से ही मौजूद है, फिर व्यंग्य की क्या जरूरत है| हास्य-मिश्रित व्यंग्य सीधा प्रहार करता है और आपको चोट भी नहीं लगती| लगती भी है तो वह चोट आपके हृदय-परिवर्तन में सहायक होती है| स्व. हृषीकेश चतुर्वेदी कहा करते थे कि ‘‘मजाक करना मजाक नहीं है, मजाक करो तो तमीज के साथ करो, वरना चुप रहो|’’
हास्य-व्यंग्य की रचनात्मक धारा से ये चार पुस्तकें आपके सामने हैं, जिनमें हास्य-व्यंग्य की श्रेष्ठ कविताओं, कहानियों, निबंध और एकांकियों को अलग-अलग संकलित किया गया है| इनके रचनाकारों ने रचनाएं भेजने में जो तत्परता दिखायी है इसके लिए वे बधाई के पात्र हैं| इस प्रकार हमारी उस यात्रा में एक ऐसा काम हो गया जिससे हजारों हास्य-व्यंग्य-प्रमियों को शिक्षात्मक मनोंरजन प्राप्त होगा और वे ‘हास्य-व्यंग्य : जीवन के अंग’ इस सूत्र को स्वीकार करेंगे|
-इसी पुस्तक से
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