$7.78
Genre
Print Length
144 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2017
ISBN
8188267279
Weight
300 Gram
ईशान महेश के इन व्यंग्यों में आप पाएँगे सरकारी और असामाजिक तंत्र की शिकार जनता की पीड़ा, उसका दर्द, उसका कष्ट, उसकी चीत्कार और उसकी बेबसी| जो भी साधारण है, सरल है, निष्कपट है-उसके भीतर प्रजा का रूप है और हम सब प्रजा का एक अंग हैं; इसलिए ये व्यंग्य हमारे मन और मस्तिष्क को छू जाते हैं| 1. बिजली का दफ्तर - Pgs. 9 2. रास्ता दिखानेवाले - Pgs. 13 3. रंग और नूर की बरात - Pgs. 17 4. यूरेका! यूरेका!! - Pgs. 20 5. जिस तन बीति, वाहि तन जाने - Pgs. 23 6. मेरे बाप, यानी ‘माई-बाप’ - Pgs. 28 7. सैटिंग - Pgs. 31 8. आम के आम... 35 9. ओह शिट! - Pgs. 38 10. पहली ‘नो एंट्री’ - Pgs. 41 11. हवस टैक्स - Pgs. 45 12. चित भी मेरी, पट भी मेरी - Pgs. 48 13. गांधी की आँधी - Pgs. 50 14. हवाई फायर - Pgs. 52 15. सरेआम - Pgs. 56 16. कलियुग में चमत्कार - Pgs. 60 17. अन्य पुरुष की इच्छा - Pgs. 62 18. भक्त-प्रवर कालूराम - Pgs. 64 19. हैलो! मैं धर्म बोल रहा हूँ - Pgs. 71 20. तृतीय विश्वयुद्ध और चालान - Pgs. 75 21. हथकंडे - Pgs. 80 22. सौदेबाजी - Pgs. 84 23. पुलिस की मजबूरी - Pgs. 88 24. मंत्री बाँटे रेवड़ी... 91 25. कंस की आत्मा - Pgs. 93 26. अग्निपुरुष का आत्मदाह - Pgs. 96 27. बेड़ा गर्क - Pgs. 99 28. कुछ चुनी हुई भभकियाँ - Pgs. 102 29. सभ्य डकैती - Pgs. 105 30. सिपाही की भीष्म प्रतिज्ञा - Pgs. 107 31. ब्ल्यू लाइन की ब्ल्यू बातें - Pgs. 109 32. कमाई का धंधा - Pgs. 111 33. संस्कृति के दीमक - Pgs. 114 34. जनता के दामाद - Pgs. 117 35. कहे कहानी ठेकेदार - Pgs. 120 36. सरकारी डकैत - Pgs. 127 37. जले पर सरकारी नमक - Pgs. 133 38. दिल्ली का रिंग रोड - Pgs. 136 39. वीरप्पन : वन एवं पर्यावरण-पे्रमी - Pgs. 139 40. आय कर विभाग का मौलिक विज्ञापन - Pgs. 142
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