यह जो माणिक है न... शहनाइयों के चीखते स्वरों के बीच किसी इकतारे का दर्द सुना है आपने? आँसुओं की एक गरम बूँद से शीशे चटखते देखे हैं आपने? उम्र और एहसास के पत्थरों को ढोने की बजाय कभी छैनी से तराशा है आपने? या फिर उलझे हुए घुँघरूओं जैसी मासूम हँसी कभी सुनी है आपने? नहीं...तो इन सारे एहसास को एक साथ महसूस करने के लिए आप माणिक वर्मा की व्यंग्य कविताएँ पढ़िए| -के.पी. सक्सेना तीसरी आँख के मालिक माणिक वर्मा की व्यंग्य प्रतिभा रेडियम की काँपती सुई की तरह कड़वी सच्चाइयों की ओर निरंतर संकेत करती है| उन संकेतों का दायरा असीम लगता है| उनकी कविताएँ कवि की वर्तमान इतिहास में निरंतर उपस्थिति की सूचक हैं| -शरद जोशी सुधी पाठकों के लिए प्रस्तुत है सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार श्री माणिक वर्मा की चुनिंदा सदाबहार रचनाओं का अनुपम उपहार| हमारा दावा है-इन रचनाओं के शब्द आपको कहीं-न-कहीं जरूर पकड़ लेंगे और फिर आप छूटना भी चाहें तो छूट नहीं पाएँगे|
Best Of Manik Verma (बेस्ट ऑफ़ माणिक वर्मा)
Author: Manik Verma (मानिक वर्मा)
Price:
$
11.37
Condition: New
Isbn: 9788173156892
Publisher: Prabhat Prakashan
Binding: Hardcover
Language: Hindi
Genre: Poetry,Humor,
Publishing Date / Year: 2015
No of Pages: 175
Weight: 310 Gram
Total Price: $ 11.37
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