अनूठा व्यंग्य शिल्पी मनोहर पुरी में वैचारिक संप्रेषण संसार रचने की अपूर्व विशेषता है| वे दुखती रग को पहचानते हैं| वे उपदेष्टा नहीं हैं, किंतु एक उपदेशकीय दृष्टि की सृष्टि अवश्य ही रच देते हैं| उनके व्यंग्य का कैनवास बहुआयामी तथा सर्वग्राही है| उनकी व्यंग्य-क्षुधा किसी भी विद्रूपता या विडंबना को वर्ज्य नहीं मानती| -बालेंदु शेखर तिवारी स्पष्ट दृष्टिकोण का व्यंग्यकर्मी मनोहर पुरी एक ऐसे सजग, चिंतनशील रचनाकार हैं जो अपने स्पष्ट दृष्टिकोण एवं विचारधारा के तहत राजनीतिक क्षेत्र में व्याप्त विसंगतियों की व्यंग्यात्मक आलोचना कर रहे हैं| उनकी रचनाओं में व्यंग्य के नए शिल्प की पकड़ दिखाई देती है| गद्यात्मक व्यंग्य रचनाओं में पद्य की एक अलग लय है, जो पाठक को कविता का आनंद देती है| -प्रेम जनमेजय विशिष्ट शैली के रचनाकार मनोहर पुरी का व्यंग्य-संसार बहुत विस्तृत है| उन्होंने राजनीति, समाज, संस्कृति, प्रशासन, धर्म आदि क्षेत्रों की विसंगतियों की बहुत गहरे तक जाकर पड़ताल की है| उनकी शैली में एक अलग किस्म का चुटीलापन है| -सुभाष चंदर तेजाबधर्मी व्यंग्य हस्ताक्षर मनोहर पुरी के व्यंग्य में एक पत्रकार की खोजी ‘दीठ’ है, जो उनके लेखकीय कैनवास को विराट् आयाम देती है| उनकी व्यंग्य भाषा में एक निश्चित ‘राग’ है, जो उसे काव्यमय बना देता है| इसीलिए इनका व्यंग्य-शूल तुकांत शैली की पंखुड़ियों में छुपकर चुभन का दंश देता है| -नंदलाल कल्ला
Loktantra Ke Paye (लोकतंत्र के पाये)
Author: Manohar Puri (मनोहर पुरी)
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10.00
Condition: New
Isbn: 8188266744
Publisher: Prabhat Prakashan
Binding: Hardcover
Language: Hindi
Genre: Other,
Publishing Date / Year: 2009
No of Pages: 174
Weight: 325 Gram
Total Price: $ 10.00
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