Shaheed-E-Watan Ashfaq Ullah Khan (शहीद-ए-वतन अश्फ़ाक़ उल्ला खाँ)

By M. I. Rajasvi (एम. आय. राजस्वी)

Shaheed-E-Watan Ashfaq Ullah Khan (शहीद-ए-वतन अश्फ़ाक़ उल्ला खाँ)

By M. I. Rajasvi (एम. आय. राजस्वी)

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Specifications

Print Length

152 pages

Language

Hindi

Publisher

Prabhat Prakashan

Publication date

1 January 2020

ISBN

9789381063606

Weight

305 Gram

Description

अशफाक उल्ला खाँ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख क्रांतिकारी थे| राम प्रसाद बिस्मिल की भाँति अशफाक उल्ला खाँ भी उर्दू भाषा के बेहतरीन शायर थे| उनका उर्दू तखल्लुस ‘हसरत’ था| उर्दू के अतिरिक्‍त वे हिंदी व अंग्रेजी में लेख एवं कविताएँ लिखा करते थे| उनका पूरा नाम अशफाक उल्ला खाँ वारसी हसरत था| अशफाक का जन्म उत्तर प्रदेश के शहीदगढ़ शाहजहाँपुर में रेलवे स्टेशन के पास कदनखैल जलालनगर मुहल्ले में 22 अक्‍तूबर, 1900 को हुआ था| उनके वालिद का नाम मोहम्मद शफीक उल्ला खाँ था| उनकी वालिदा मजहूरुन्निशा बेगम खूबसूरत खबातीनों में गिनी जाती थीं| अशफाक अपने भाई-बहनों में सबसे छोटे थे| सब उन्हें प्यार से ‘अच्छू’ कहते थे| बंगाल में शचींद्रनाथ सान्याल व योगेश चंद्र चटर्जी जैसे दो प्रमुख व्यक्‍तियों के गिरफ्तार हो जाने पर हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन का पूरा दोरोमदार बिस्मिल के कंधों पर आ गया| इसमें शाहजहाँपुर से प्रेमकृष्ण खन्ना, ठाकुर रोशन सिंह के अतिरिक्‍त अशफाक उल्ला खाँ का योगदान सराहनीय रहा| काकोरी ट्रेन डकैती में उनकी उल्लेखनीय भूमिका रही| 26 सितंबर, 1925 की रात जब पूरे देश में एक साथ गिरफ्तारियाँ हुईं अशफाक पुलिस की आँखों में धूल झोंककर फरार हो गए| उन्हें पुलिस बहुत बाद में गिरफ्तार कर पाई थी| 13 जुलाई, 1927 को उन्हें फाँसी की सजा सुनाई गई|


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