$7.78
Print Length
120 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2017
ISBN
9789380823874
Weight
260 Gram
मैडम भीकाजी रुस्तम कामा भारतीय मूल की फ्रांसीसी नागरिक थीं, जिन्होंने लंदन, जर्मनी तथा अमेरिका का भ्रमण कर भारत की स्वतंत्रता के पक्ष में वातावरण बनाया| उनके द्वारा पेरिस से प्रकाशित ‘वंदेमातरम्’ पत्र प्रवासी भारतीयों में काफी लोकप्रिय हुआ| सन् 1909 में जर्मनी के स्टटगार्ट में हुई अंतरराष्ट्रीय सोशलिस्ट कांग्रेस में मैडम भीकाजी कामा ने कहा था-“भारत में ब्रिटिश शासन जारी रहना मानवता के नाम पर कलंक है| एक महान् देश भारत के हितों को इससे भारी क्षति पहुँच रही है|” लंदन में वे दादाभाई नौरोजी की निजी सचिव भी रहीं|
भीकाजी कामा का जन्म 24 सितंबर, 1861 को बंबई में एक पारसी परिवार में हुआ था| उनमें लोगों की मदद और सेवा करने की भावना कूट-कूटकर भरी थी| वर्ष 1896 में बंबई में प्लेग फैलने के बाद भीकाजी ने इसके मरीजों की सेवा की|
आजादी की लड़ाई में सक्रिय रहकर उन्होंने अपने सहयोगियों स्वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर और श्यामाजी कृष्ण वर्मा की मदद से भारत के ध्वज का पहला डिजाइन तैयार किया| वे जर्मनी के स्टटगार्ट नगर में 22 अगस्त, 1907 में हुई सातवीं अंतरराष्ट्रीय कांग्रेस में तिरंगा फहराने के लिए सुविख्यात हैं| वह अपने क्रांतिकारी विचार अपने सामाचर-पत्र ‘वंदेमातरम्’ तथा ‘तलवार’ में प्रकट करती थीं| मैडम कामा की लड़ाई दुनिया भर के साम्राज्यवाद के विरुद्ध थी| उनके सहयोगी उन्हें ‘भारतीय क्रांति की माता’ मानते थे| वह ‘भारतीय राष्ट्रीयता की महान् पुजारिन’ के नाम से भी विख्यात थीं| 13 अगस्त, 1936 को उनका निधन हो गया|
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