कभी-कभी सही वैज्ञानिक सिद्धांत भी सदियों तक स्वीकार नहीं किए जाते| उन्हें प्रस्तुत करनेवाले वैज्ञानिक लंबे समय तक गुमनाम और उपेक्षित रहते हैं| विज्ञान के इतिहास में इस तरह के अनेक उदाहरण मिलते हैं| ऐसा ही एक उदाहरण है-आर्यभट और गणित-ज्योतिष से संबंधित उनका क्रांतिकारी कृतित्व| आर्यभट प्राचीन भारत के एक सर्वश्रेष्ठ गणितज्ञ-खगोलविद् थे| पाश्चात्य विद्वान् भी स्वीकार करते हैं कि आर्यभट अपने समय (ईसा की पाँचवीं-छठी सदी) के एक चोटी के वैज्ञानिक थे| आर्यभट भू-भ्रमण का सिद्धांत प्रस्तुत करनेवाले पहले भारतीय हैं| उन्होंने सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण के वैज्ञानिक कारण दिए हैं| आर्यभट ने वृत्त की परिधि और इसके व्यास के अनुपात का मान 3.1416 दिया है, जो काफी शुद्ध मान है| इसे भी उन्होंने 'आसन्न’ यानी 'सन्निकट’ मान कहा है|| त्रिकोणमिति की नींव भले ही यूनानी गणितज्ञों ने डाली हो, परंतु पाश्चात्य विद्वान् भी स्वीकार करते हैं कि आज सारे संसार में जो त्रिकोणमिति पढ़ाई जाती है, वह आर्यभट की विधि पर आधारित है| 'आर्यभटीय’ भारतीय गणित-ज्योतिष का पहला ग्रंथ है, जिसमें संख्याओं को शून्ययुक्त दाशमिक स्थानमान पद्धति के अनुसार प्रस्तुत किया गया है| आर्यभट ने वर्णमाला का उपयोग करके एक नई अक्षरांक-पद्धति को जन्म दिया| जिन आर्यभट को अपनी विद्वत्ता के कारण ज्योतिर्विदों में बहुत गरिमापूर्ण स्थान प्राप्त था, उन्हीं के जीवन और कृतित्व का कांतिकारी दस्तावेज है यह पुस्तक|
Mahan Khagolvid - Ganitagya Aryabhat (महान खगोलविद् - गणिका आर्यभट्)
Author: Deenanath Sahani (दीनानाथ सहानी)
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$
13.40
Condition: New
Isbn: 9789350481387
Publisher: Prabhat Prakashan
Binding: Hardcover
Language: Hindi
Genre: Novels and Short Stories,Science and Technology,
Publishing Date / Year: 2013
No of Pages: 228
Weight: 380 Gram
Total Price: $ 13.40
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