Ishwar Chandra Vidyasagar (ईश्वरचंद्र विद्यासागर)

By Rachna Bhola 'Yamini' (रचना भोला 'यामिनी')

Ishwar Chandra Vidyasagar (ईश्वरचंद्र विद्यासागर)

By Rachna Bhola 'Yamini' (रचना भोला 'यामिनी')

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Specifications

Print Length

144 pages

Language

Hindi

Publisher

Prabhat Prakashan

Publication date

1 January 2012

ISBN

9789380186542

Weight

280 Gram

Description

‘सर्वोत्तम महापुरुष’ के नाम से विख्यात ईश्‍वरचंद्र विद्यासागर न केवल विद्यासागर, अपितु करुणासागर भी थे| अपने हितों की उपेक्षा कर सदैव दूसरे व्यक्‍ति का हित साधना, स्वयं को सुख-सुविधाओं से दूर रखकर दूसरे के कष्‍ट दूर करना जैसी बातें हमें अतिशयोक्‍ति भले ही जान पड़ें, किंतु विद्यासागरजी के जीवन की ये रोजमर्रा की घटनाएँ थीं|
एक कर्मठ, उत्साही, परोपकारी, स्वाभिमानी, स्नेही व दृढ़ व्यक्‍तित्व के स्वामी ईश्‍वरचंद्र विद्यासागरजी अद्वितीय पुरुष थे| कहीं वे बच्चों की शिक्षा में सुधार के सुझाव कार्यान्वित करते हैं तो कहीं पुस्तक लेखन से अपनी प्रतिभा का परिचय देते हैं| कहीं सामाजिक कुरीतियों पर चोट करते हैं तो कहीं आंग्ल समाज के प्रभुत्व-संपन्न वर्ग से टक्कर लेते हैं|
एक महान् समाज-सुधारक के रूप में ईश्‍वरचंद्रजी ने विधवा-व‌िवाह को प्रोत्साहित किया और बहुपत्‍नी प्रथा जैसी कुरीति पर रोक लगाने का प्रयत्‍न किया|
पैतृक वीरसिंह गाँव की जीर्ण-शीर्ण कुटिया से उठकर कलकत्ता महानगरी के उच्चाधिकारियों के बीच अपनी पैठ बनानेवाले ईश्‍वरचंद्र विद्यासागरजी ने जीवन में धन व मान-सम्मान सबकुछ पाया, किंतु सदा अपनी जड़ों से जुड़े रहे|
अद्वितीय व्यक्‍तित्व के धनी ईश्‍वरचंद्र विद्यासागर की प्रेरणाप्रद जीवनी|


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