$17.00
Genre
Print Length
112 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2019
ISBN
9789380183381
Weight
225 Gram
अंतिम समय निकट है| दो फाँसी की सजाएँ सिर पर झूल रही हैं| पुलिस को साधारण जीवन में और समाचार-पत्रों तथा पत्रिकाओं में खूब जी भर के कोसा है| खुली अदालत में जज साहब, खुफिया पुलिस के अफसर, मजिस्ट्रेट, सरकारी वकील तथा सरदार को खूब आड़े हाथों लिया है| हरेक के दिल में मेरी बातें चुभ रही हैं| कोई दोस्त, आशना अथवा यार मददगार नहीं, जिसका सहारा हो| एक परमपिता परमात्मा की याद है| गीता पाठ करते हुए संतोष है- जो कुछ किया सो तैं किया, मैं खुद की हा नाहिं, जहाँ कहीं कुछ मैं किया, तुम ही थे मुझ माहिं| ‘जो फल की इच्छा को त्याग करके कर्मों को ब्रह्म में अर्पण करके कर्म करता है, वह पाप में लिप्त नहीं होता| जिस प्रकार जल में रहकर भी कमलपत्र जलमय नहीं होता|’ जीवनपर्यंत जो कुछ किया, स्वदेश की भलाई समझकर किया| यदि शरीर की पालना की तो इसी विचार से कि सुदृढ़ शरीर से भली प्रकार स्वदेश-सेवा हो सके| बड़े प्रयत्नों से यह शुभ दिन प्राप्त हुआ| संयुक्त प्रांत में इस तुच्छ शरीर का ही सौभाग्य होगा| जो सन् 1857 के गदर की घटनाओं के पश्चात् क्रांतिकारी आंदोलन के संबंध में इस प्रांत के निवासी का पहला बलिदान मातृ-वेदी पर होगा| -इसी पुस्तक से अमर शहीद, क्रांतिकारियों के प्रेरणा-ग्रंथ पं. रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ की आत्मकथा मात्र आत्मकथा नहीं है| उनके जीवन के सद्गुणों का सार है, जो भावी पीढ़ियों के लिए अत्यंत प्रेरणादायी है| हर आयु वर्ग के पाठकों के लिए पठनीय एवं संग्रहणीय पुस्तक|
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