$15.00
Print Length
200 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2015
ISBN
8185826072
Weight
335 Gram
‘आजादी के मायने यह नहीं होते कि सत्ता गोरे हाथों से काले हाथों में आ जाए, यह तो सत्ता का हस्तांतरण हुआ| असली आजादी तो तब आएगी जब वह आदमी, जो खेतों में अन्न उपजाता है, भूखा नहीं सोए; वह आदमी, जो कपड़े बुनता है, नंगा नहीं रहे; वह आदमी, जो मकान बनाता है, स्वयं बेघर नहीं रहे|’-ऐसे विचारोत्तेजक उद्गार थे अमर शहीद सरदार भगतसिंह के|
उनका मानना था कि क्रांति तो विचारों की सान पर तेज होती है| मनुष्य द्वारा मनुष्य के शोषण के खिलाफ खड़ा वह क्रांतिद्रष्टा, जो फाँसी के फंदे को ही विचार का मंच मानता था-भारत का मार्क्स और लेनिन-अपने समकालीन सभी विचारकों से सोच में आगे था और अन्याय, अत्याचार, शोषण, राजनीति एवं धर्म के पाखंड पर प्रहार करनेवाला महान् क्रांतिकारी विचारक था|
सरदार भगतसिंह के अनछुए पहलू, विचार और चिंतन पर विद्रोही लेखक राजशेखर व्यास की पैनी कलम से नि:सृत है|
-‘मृत्युंजय भगतसिंह’|
‘अगर मैं ईश्वर को मानता तो
भगतसिंह की पूजा करता|
उनकी भविष्यवाणियाँ अब
सत्य सिद्ध हो रही हैं|”
-शिव वर्मा
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