$11.78
Genre
Print Length
194 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2009
ISBN
8173156565
Weight
340 Gram
‘माटी बन गई चंदन’ भारत के उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत की संक्षिप्त जीवन गाथा है| शेखावत का जन्म लगभग चौरासी वर्ष पूर्व तत्कालीन जयपुर रियासत के एक अनाम से गाँव खाचरियावास में हुआ था| गाँव की पाठशाला में अक्षर-ज्ञान प्राप्त किया| हाई स्कूल की शिक्षा गाँव से तीस किलोमीटर दूर जोबनेर से प्राप्त की, जहाँ पढ़ने के लिए पैदल जाना पड़ता था| हाई स्कूल करने के पश्चात् जयपुर के महाराजा कॉलेज में दाखिला लिया ही था कि पिता का देहांत हो गया और परिवार के आठ प्राणियों के भरण-पोषण का भार किशोर कंधों पर आ पड़ा, फलस्वरूप हल हाथ में उठाना पड़ा| बाद में पुलिस की नौकरी भी की; पर उसमें मन नहीं रमा और त्यागपत्र देकर वापस खेती करने लगे| स्वतंत्रता-प्राप्ति के पश्चात् लोकतंत्र की स्थापना ने आम नागरिक के लिए उन्नति के द्वार खोल दिए| राजस्थान में वर्ष 1952 में विधानसभा की स्थापना हुई तो शेखावत ने भी भाग्य आजमाया और विधायक बन गए| फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा तथा सीढ़ी-दर-सीढ़ी चढ़ते हुए विपक्ष के नेता, मुख्यमंत्री और उपराष्ट्रपति पद तक पहुँच गए| ‘माटी बन गई चंदन’ में श्री शेखावत के चौरासी वर्षों के संघर्षशील व जुझारू जीवन, उनके राजनीतिक चातुर्य और प्रशासनिक कौशल, मानवीय संवेदनाओं, शत्रु को भी मित्र बनाने की कला आदि का दर्शन कराने का प्रयास किया गया है| ‘माटी बन गई चंदन’ भारतीय लोकतंत्र की महानता की भी गाथा है, जिसने एक साधारण किसान परिवार में जन्म लेनेवाले व्यक्ति का सत्ता के शिखर तक पहुँचना संभव बनाया|
0
out of 5