$19.00
Genre
Print Length
80 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2017
ISBN
9788177211934
Weight
295 Gram
अरविंद घोष का जन्म 15 अगस्त, 1872 को कलकत्ता में हुआ था| उनके पिता का नाम कृष्णधन और माता का नाम स्वमलता था| बंगाली साहित्य के जाने-माने विद्वान् राज नारायण बोस अरविंद के नाना थे| धार्मिक गुण और साहित्यिक क्षमताएँ उन्हें अपनी माता के वंश से विरासत में मिलीं| उनके पिता ने इंग्लैंड से डॉक्टरी पढ़ी थी|
अपने पिता की इच्छा-पूर्ति करते हुए उन्होंने भारतीय सिविल सर्विस (ICS) की परीक्षा दी और अच्छे अंकों से उत्तीर्ण हुए; लेकिन घुड़सवारी की परीक्षा में असफल हो जाने के कारण उन्हें भारत सरकार की सेवा का अवसर नहीं मिला|
वर्ष 1908 से वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने लगे| उन्होंने अंग्रेजी दैनिक ‘वंदे मातरम्’ का संपादन किया और अपने बेबाक आलेखों से देश को जाग्रत् करने का कार्य किया| उन्होंने ब्रिटिश सामान, ब्रिटिश न्यायालय और अन्य वस्तुओं का खुलेआम बहिष्कार किया|
अलीपुर बम केस उनके जीवन का एक निर्णायक मोड़ साबित हुआ| उन्हें एक साल के लिए अलीपुर जेल में डाल दिया गया| वहाँ उन्होंने भगवद्गीता का गहन अध्ययन किया और अपने भावी आध्यात्मिक जीवन की नींव रखी|
श्रीअरविंद ने मानव जाति की सहायता के लिए विश्व-प्रसिद्ध आश्रम की स्थापना की|
एक कवि, विद्वान्, योगी, बहुमुखी प्रतिभा के धनी अरविंद सदैव मनुष्यमात्र के जीवन-उत्थान में लगे रहे|
प्रस्तुत है आध्यात्मिक क्षेत्र में भारत का मस्तक ऊँचा करनेवाले, उच्च कोटि के दार्शनिक, स्वतंत्रता-सेनानी और एक सच्चे योगी की अनुकरणीय-प्रेरणास्पद जीवनी|
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