$11.85
Genre
Print Length
154 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2017
ISBN
9789350488591
Weight
345 Gram
ये कहानियाँ बताती हैं कि कैसे एक समय टूटी हुई निब बदल पाने में अक्षम अशोक खाड़े की कंपनी दास ऑफशोर आज बॉम्बे हाई में तेल निकालने वाले कुएँ के प्लेटफॉर्म बनाती है| किस तरह कल्पना सरोज ने बंद पड़ी मुंबई की कमानी ट्यूब्स को मुनाफे में ला दिया| कभी मजदूरी करने वाले आगरा के हरी किशन पिप्पल अस्पताल चलाते हैं, और अहमदाबाद की सविताबेन कोलसावाला टाइल्स बनाती हैं, जबकि भावनगर के देवजीभाई मकवाना फिलामेंट यार्न|
दलित करोड़पति में ऐसे 15 लोगों की कहानियाँ हैं, जिन्होंने पिछले कुछ सालों में करोड़ों का कारोबार खड़ा कर लिया है| उनकी कहानियाँ यह दिखाती हैं कि उन्होंने कैसे रोड से करोड़ों तक का सफर तय किया|
ये कहानियाँ हैं-संघर्ष और सफलता की, सीमाओं के बंधन और उनके टूटने की, जाति और पूँजीवाद की| ये हमें उस जातीय भेदभाव के बारे में भी बताती हैं, जो रोजमर्रा के शहरी जीवन में समाज के सबसे निचले पायदान पर खड़े लोगों को झेलना पड़ता है| ये उनकी ताकत, साहस और लगन के बारे में बताती हैं, जो सारी रुकावटों के बावजूद ऊपर उठ सके और उन लोगों के लिए एक मिसाल बन गए, जिनमें आगे बढ़ने और सपने देखने का साहस है| -सुरिंदर जोधका
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