$7.78
Print Length
152 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2018
ISBN
9789384344146
Weight
300 Gram
ईश्वरभक्ति और देशभक्ति पं. मदन मोहन मालवीय के जीवन के दो मूलमंत्र थे| इन दोनों का उत्कृष्ट संश्लेषण, ईश्वर-भक्ति का देशभक्ति में अवतरण तथा देशभक्ति की ईश्वरभक्ति में परिपक्वता उनके व्यक्तित्व के विशिष्ट गुण थे| उनकी धारणा थी कि मनुष्य के पशुत्व को ईश्वरत्व में परिणत करना ही धर्म है| मनुष्यत्व का विकास ही ईश्वरत्व और ईश्वर है तथा निष्काम भाव से प्राणिमात्र की सेवा ही ईश्वर की सच्ची आराधना है|
वे सार्वजनिक कार्यों के लिए जीवन भर साधन जुटाते रहे और ‘भिक्षुकों में राजकुमार’ कहलाए| वे महान् देशभक्त, सात्त्विक जीवन जीनेवाले मनीषी, जनसाधारण के सेवक, करुणा, सद्भावना और दया की मूर्ति, विदग्ध और उच्चकोटि के वक्ता, प्राणिमात्र से प्रेम करनेवाले, शील के पर्याय, ललितकलाओं के प्रेमी और आहार-विहार में सरलता एवं सात्त्विकता के प्रतीक॒थे|
समाजसेवा, धर्मपरायणता, सेवाभाव, परोपकार और धर्मजागरण के प्रतिरूप महामना मालवीयजी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व का दिग्दर्शन कराती अत्यंत प्रेरणाप्रद पठनीय पुस्तक|
0
out of 5