मैं उसके हस्तक्षेप से थक चुकी थी| मैं बोली, ‘ठीक है, मुझे इस बारे में सोचने दीजिए| हम बाद में बात करते हैं|’ अगले दिन उसने फिर मुझे फोन किया| ‘मैडम, हमारी फैक्टरी में लंबे लोग भी हैं| क्या मैं आपको अलग-अलग सूची भेज दूँ, ताकि आप उनके लिए अधिक कपड़ा खरीद सकें?’ ‘सुनिए, मेरे पास संशोधनों के लिए समय नहीं है| मैं ऐसा नहीं कर सकती|’ ‘साड़ियों और कपड़ों का रंग क्या होगा?’ ‘एक ही मूल्य के कपड़ों में हम अलग-अलग रंग ले लेंगे|’ ‘अरे, आप ऐसा नहीं कर सकतीं| कुछ लोगों को अपने उपहारों के रंग पसंद आ सकते हैं और कुछ को बिलकुल भी नहीं आ सकते तो वे बहुत दुःखी हो जाएँगे|’ ‘ऐसा है तो मैं एक ही रंग सभी को दे दूँगी|’ ‘नहीं मैडम, ऐसा मत कीजिएगा| वे सोचेंगे कि आप उन्हें एक यूनिफॉर्म दे रही हैं|’ थककर मैं बोली, ‘तो आपका क्या सुझाव है?’ -इसी पुस्तक से
Maa Ka Dulaar (माँ का दुलार)
Author: Sudha Murthy (सुधा मूर्ति)
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$
7.78
Condition: New
Isbn: 9789350484692
Publisher: Prabhat Prakashan
Binding: Hardcover
Language: Hindi
Genre: Novels and Short Stories,Children,
Publishing Date / Year: 2018
No of Pages: 144
Weight: 280 Gram
Total Price: $ 7.78
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