$10.24
Genre
Print Length
152 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2013
ISBN
9789380823942
Weight
305 Gram
विश्व कथा साहित्य के सर्वाधिक चर्चित भारतीय साहित्यकारों में शुमार होनेवाले श्री मनोज दास को प्राचीन पृष्ठभूमि से आधुनिक समाज के तारों को पिरोकर प्रस्तुत करने में अद्भुत महारत हासिल है| ‘स्वर्ण कलश’ नामक उनका यह कथा-संग्रह ऐसे ही विशेष चरित्रों से बुना हुआ है| इस संग्रह में परी-कथा, पुरातन-कथा और लोक-कथाओं में व्यवहृत शैली को अपने सृजन-शिल्प का अवलंबन देकर इन कहानियों के मार्फत वास्तविक जीवन और मनस्तत्त्व की कई सूक्ष्म समस्याओं व पहेलियों का वर्णन किया है| इन कहानियों की विशेषता है कि इनमें से कई मानव-जीवन की समस्याओं और समाधान की दिशा में दिग्दर्शन का काम करती हैं| पंचतंत्र, कथा-सरित्सागर और जातक कथाओं में से कुछ कहानियों को चुनकर श्री मनोज दास ने अपनी भाषा और शिल्प देकर नया रूप दे दिया है| ये कहानियाँ अपने मूल स्रोत में जिस बिंदु पर खत्म होती हैं, लेखक ने उसी बिंदु से आगे बढ़ते हुए उसके परवर्ती विकास या परिणाम में अपनी कहानी को विस्तार देकर खत्म किया है| भारत के प्राचीन कथा-साहित्य के कालातीत प्रभाव का यह एक अद्भुत प्रस्तुतीकरण तो है ही, उसके सार्वकालिक संदेशों का उज्ज्वल दृष्टांत भी है| रोचक, रोमांचक, प्रेरक और पठनीय कहानियों का ‘स्वर्ण कलश’|
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