$13.81
Genre
Print Length
231 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2016
ISBN
9789380186948
Weight
410 Gram
इस संग्रह की कहानियों में हमने जो देखा या सुना है, कथा उसे आधारभूमि की तरह बिछाती है| यथार्थ इतना ठोस नहीं है| वह यहाँ उर्वर है| कहानियाँ अनदेखे कोनों की ओर ले जाती हैं| नए रंग, व्यग्रता, अवसाद और दुचित्तेपन की दुनिया में भाषा-आलोक क्रमश: फैलता है| यह उर्मिला शिरीष की अनुपम कला है| उनकी अधिकांश कहानियों में लोगों की बातचीत में कहानी खुलती और खिलती है| उर्मिला बहुत कम उनके बीच में आती हैं| व्यंग्य की बजाय कथा समराग में संबंधों को बारीक रेशों में बुनती है| यथार्थ कौशल और बहुमूल्य तटस्थ दृष्टि हमारे भारतीय पारिवारिक जीवन के ठहरे तह में से भविष्य की तसवीर उकेर लाने में सफल होती है| जैसे हरेक कहानी में हमारे जीवन का समुच्चय निरंतरता का इंगित है|
ये कहानियाँ हमें ठहरकर घटना में प्रवेश करने के लिए आमंत्रित करती हैं| इस संग्रह की कहानियाँ हमारे जीवन को धीरे-धीरे प्रस्फुटित होने का अर्थ समझाती हैं, बताती हैं| आखिरकार मटमैले परिदृश्य को समेटने के पहले गहराई से जानना जरूरी है|
उर्मिला शिरीष इस अनिवार्यता को इस संग्रह \'ग्यारह लंबी कहानियाँ’ में रचनात्मक ऊर्जा के साथ रखती हैं| ये कहानियाँ अपने समय की चुनौतियों का तो सामना करती ही हैं, समय और समाज से टकराने की चुनौती का सामना करने की ताकत और दृष्टि भी देती हैं|
-शशांक
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