$7.78
Genre
Print Length
144 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2012
ISBN
9788177211764
Weight
295 Gram
सतत संघर्षशील आम आदमी के जीवन से जुड़ी ये कहानियाँ मात्र कहानियाँ ही नहीं, कहीं-कहीं एक दस्तावेज बनकर भी उभरती हैं| ऐसे प्रश्नों एवं प्रश्न-चिह्नों की ओर भी इंगित करती हैं, जहाँ समाधान स्वयं विश्लेषित होकर यथार्थ का एक दूसरा रूप उद्घाटित होता है| यह सच है कि सर्वत्र दुःख है, निराशा है, कुंठाएँ हैं, निरंतर छोटे होते जा रहे मानव के जीवन की अनगिनत त्रासदियाँ हैं, परंतु निराशा-हताशा के उन काले बादलों के बीच कहीं-कहीं आशाओं की रजत रेखाएँ भी हैं|
इस संग्रह की कहानियों में पहाड़ का परिवेश जिस यथार्थवादी कलात्मक ढंग से चित्रित हुआ है, वह अद्वितीय है| यहाँ कहानियाँ आँखों देखा यथार्थ बन जाती हैं| लेखक ने समय के साथ-साथ परिवर्तित होते समाज का जो चित्र प्रस्तुत किया है, वह मात्र छूता ही नहीं, कहीं गहरे तक प्रभावित किए बिना नहीं रहता|
पर्वतीय जन-जीवन के ये धुँधले-उजले साये पर्वतीय जन-जीवन का जीवंत स्वरूप चलचित्र की तरह उद्घाटित करते चले जाते हैं| पाठक इसके माध्यम से वर्तमान ही नहीं, अतीत में भी गहराई से झाँकने लगता है| कहीं-कहीं ऐसी सहजता के साथ-साथ ऐसी जीवंतता रचना को एक नया आयाम दिए बिना नहीं रहती|
पहाड़ी जीवन की आंतरिक पीड़ा और वेदना की झलक प्रस्तुत करती हैं ये मर्मस्पर्शी पठनीय कहानियाँ| "
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