$10.24
Genre
Print Length
160 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2012
ISBN
9788177211467
Weight
305 Gram
एक शाम वह एक सवारी को लेकर लाजपत नगर जा रहा था| रास्ते में उसे एक दुकान दिख गई| बाहर मोटे-मोटे अक्षरों में लिखा था-'देसी शराब का ठेका’ | उसने अपना ऑटो दुकान की ओर मोड़ दिया और बड़ी मिन्नत भरे स्वर में सवारी से बोला, 'साब, मैं अपना राशन-पानी ले लूँ...बाद को दुकान बंद हो गई तो मैं मर जाऊँगा|’
सवारी ने हँसकर कहा, 'जाओ, ले आओ|’
वह दौड़कर गया और एक बोतल ले आया| बोतल उसने कपड़े में लपेटकर अपने औजारों की डिग्गी में रख दी और ऑटो स्टार्ट करके सड़क पर ले आया|
सवारी ने पूछा, 'रोज पीते हो?’
'रोज...कम-से-कम एक अधिया|’
'क्यों पीते हो?’
'इसका क्या जवाब दूँ, बस इसकी लत पड़ गई है|’
'परिवार में कौन है?’
'बीवी है, दो बच्चे हैं|’
सवारी ने आगे कुछ नहीं पूछा|
-इसी संग्रह से
सामाजिक जीवन का यथार्थ चित्रण करती तथा उसमें फैली कुरीतियों, कुचेष्टाओं व विसंगतियों पर प्रबल प्रहार करती मानवीय संवेदनाओं और मर्म से परिपूर्ण कहानियों का संग्रह|
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