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Specifications

Print Length

175 pages

Language

Hindi

Publisher

Prabhat Prakashan

Publication date

1 January 2011

ISBN

9789380186351

Weight

340 Gram

Description

“...क्या आप भी वाल्मीकि-पत्नी जैसी ही हैं, जिसे केवल पति की कमाई से मतलब होता है, चाहे वह चोरी, डकैती या हत्या से ही क्यों न आई हो?” “तुमने उसे पैसे का महत्त्व समझाया होगा| प्रेम और सद्भावना का महत्त्व क्यों नहीं समझाया!” “उन लोगों पर मुझे गुस्सा आ रहा था| विभा के जीते-जी तो ये लोग एक बार भी नहीं देखने आए, और अब?...पता नहीं रेणुका का रोना चिल्लाना नाटक था या सच?” गुणों और कार्यों के आधार पर बने समाज को जन्म के आधार पर हमने कब बाँट दिया और क्यों? आखिर क्यों? निमली क्या कभी ‘निर्मली’ नहीं हो सकती? “छिह-छिह मौसी, इसे कुत्ता-कुतिया मत कहिए| यह तो मेरा सब कुछ है, मेरा स्वीट हार्ट| आपके वे दहेज से खरीदे हुए जानवर तो निश्छल प्यार के बदले मार देते हैं| और यह तो प्यार के बदले प्यार देना जानता है|”
“नेहा का चेहरा सूख गया| मैडम उसके घर क्यों आना चाहती थीं? न जाने कौन सा दंड मुकर्रर हुआ है उसके लिए|” “...देखो न, तुम लोग पराया धन होकर भी माँ-बाप का कितना ख्याल रखती हो और मेरे बेटों को महीनों तक एक फोन करने की भी फुरसत नहीं मिलती|” “एक नारी की गलती के कारण आप नारी मात्र को मंदबुद्धि नहीं कह सकते, न उसकी औकात को चुनौती दे सकते हैं!” उसकी माँ भी झाँसी की रानी हैं| वे भी अपने बच्चों को पीठ पर बाँधकर जीवन का युद्ध लड़ती हैं| वे हार नहीं सकतीं| कभी नहीं हार सकतीं! “लेकिन इसका इलाज मर जाना तो नहीं है| यह भी तो जीवन के साथ दगाबाजी करना ही है|” “सच तो यह है कि जिन-जिन प्रांतों से हम या हमारे पुरखे जुड़े रहे, वे सभी प्रांत हमें अपने लगते हैं| हम किसी एक प्रांत के नहीं| ... पर हाँ, हम एक देश के हैं शुद्ध भारतीय, भारत के भारतीय!”
(इन्हीं कहानियों से)


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