Veer Ka Balidan Tatha Anya Kahaniyan (वीरों का बलिदान तथा अन्य कहानियाँ)

By Vrindavan Lal Verma (वृन्दावनलाल वर्मा)

Veer Ka Balidan Tatha Anya Kahaniyan (वीरों का बलिदान तथा अन्य कहानियाँ)

By Vrindavan Lal Verma (वृन्दावनलाल वर्मा)

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Specifications

Print Length

222 pages

Language

Hindi

Publisher

Prabhat Prakashan

Publication date

1 January 2015

ISBN

8173152519

Weight

355 Gram

Description

पृथ्वीराज चौहान घायल होकर गिर पड़े और अचेत हो गए | फिर घोर युद्ध छिड़ गया | पृथ्वीराज का एक सामंत वहीं लड़ रहा था | नाम था संयम राय | अपने स्वामी की उस दुर्गति को देखकर आपे से बाहर होकर हथियार चलाने लगा | सामना करनेवाला भी बेकाबू हो गया था | युद्ध में संयम राय के पैर कट गए और वह गिर पड़ा | युद्ध कहीं घमासान था, कहीं इखरा-बिखरा | पृथ्वीराज जहाँ घायल और अचेत पड़े थे वहाँ कोई नहीं था | लाशें पड़ी थीं | गिद्धों की बन आई | झपटे लाशों पर | पृथ्वीराज की आँखें फोड़ने और खाने के लिए भी आ गए | संयम राय ने देख लिया | बुरी तरह घायल हो जाने के कारण कराह रहा था | परंतु बलिदानी प्रकृति उभर उठी | संयम राय ने अपनी कमर से छुरा निकाला और कटे पैर की जाँघ से मांस काटकर गिद्धों के सामने फेंक दिया | कराह दब गई, बलिदानी शौर्य ने दबा दी | गिद्धों ने पृथ्वीराज की आँखें छोड़ दीं और संयम राय के मांस के उस कटे टुकड़े पर आ झपटे | संयम राय ने फिर कुछ बोटियाँ गिद्धों को खिलाई और..
-इसी पुस्तक से
प्रस्तुत कहानी संग्रह में लेखक ने रणभूमि में शत्रु सैनिकों के समक्ष भारतीय सैनिकों द्वारा दिखाए गए प्रचंड पराक्रम को कहानी के रूप में प्रस्तुत किया है | साथ ही-' वैल्वर का विद्रोह ', ' इनकरीम ', ' उस प्रेम का पुरस्कार ', ' टूटी सुराही ',' स्वर्ग से चिट्ठी ' तथा ' गवैए की सूबेदारी ', जैसी ऐतिहासिक कहानियाँ भी संगहीत हैं |
वर्माजी की कहानियों का यह संग्रह पठनीय एवं संग्रहणीय-दोनों है|


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