$11.85
Genre
Print Length
208 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2017
ISBN
8185827907, 9789386001443
Weight
345 Gram
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी द्वारा अपने जीवन के अनुभवों के आधार पर लघु कथानकों के माध्यम से जिंदगी के विभिन्न पहलुओं एवं विषमताओं पर एक तात्त्विक एवं सारगर्भित प्रस्तुति के साथ- साथ वर्तमान परिवेश में प्रत्येक वर्ग के समक्ष विद्यमान विवशताओं के यथार्थपूर्ण चित्रण का सम्यक् समावेश भी इस पुस्तक में है | व्यवस्था-तंत्र व उसकी कार्यप्रणाली के बारे में आम लोगों के क्या अनुभव एवं प्रतिक्रियाएँ हैं, वे भी भलीभांति चित्रित की गई हैं | एक साहित्यिक कृति के रूप में विषयवस्तु का विकास करते हुए कथानकों का मंथन भी ' पद्यांशों ' के रूप में लेखक द्वारा अभिलिखित किया गया है | प्रत्येक कथानक से उजागर जीवनोपयोगी विचारों को ' विचार-स्पंदन ' के अंतर्गत सूक्ष्मता में रखकर लेखक ने गागर में सागर भरने की कला का प्रदर्शन किया है | प्रस्तुत पुस्तक में वैचारिक पटल से आगे बढ़ते हुए लेखक ने आत्मबोध के मार्ग को ही प्रशस्त नहीं किया है अपितु आध्यात्मिक अनुभूति भी कराई है | पुस्तक के माध्यम से पाठकों की यह यात्रा ' वास्तविक ' से लेकर ' तात्त्विक ', फिर ' साहित्यिक ' से लेकर ' सात्विक ' अनुभूतियों की यात्रा होगी | प्रत्येक जागरूक एवं संवेदनशील पाठक के लिए यह एक अत्यंत उपयोगी पठन सामग्री है |
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