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Genre
Print Length
136 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2020
ISBN
8188267082, 9789386870544
Weight
370 Gram
डॉ. सूर्यबाला की ये पाँच लंबी कहानियाँ मनोवैज्ञानिक धरातल पर मानसिक अंतर्दशाओं का अभिव्यंजन करती हैं | ' गृह प्रवेश ' आर्थिक दबाव में अनचाहे समझौतों की विवशता का आख्यान है | ' भुक्खड़ की औलाद ' एक शिक्षित, किंतु बेरोजगार व्यक्ति की करुण त्रासदी है, जो पारिवारिक ममता और मानवीय संवेदना को तिलांजलि देकर भी जीवन की दारुण परिणतियों से बच नहीं पाता | ' मानसी ' में किशोर मन को उस निगूढ़ भावानुभूति का चित्रण है, जो नीति, उम्र और आचार-संहिता के पर आजीवन अभिन्न सहचरी बनी रहती है | ' मटियाला तीतर ' एक अशिक्षित, किंतु बुद्धिमान और स्वाभिमान बालक का आख्यान है, जो आर्थिक विपन्नता में भी पारिवारिक प्रेम, आत्माभिमान और मुक्त जीवन- शैली को नहीं भूल पाता | तथाकथित सभ्य परिवार के छद्म से आहत होकर वह जीवन से ही विमुख हो जाता है | ' अनाम लमही के नाम ' में मध्य वर्गीय संकुचित मनोवृत्ति, स्वार्थपरता, संवेदनशून्यता, अमानवीय अवसरवादिता के चित्रण के साथ नई पीढ़ी पर उसके कुप्रभावों का रेखांकन है | इन कहानियों में संस्मरणात्मक और रेखाचित्रात्मक संस्पर्श होने के कारण अनुभूति की प्रामाणिकता निखर गई है | ये कहानियाँ जहाँ मानव मन की संवेदनात्मक प्रतिक्रियाओं का मनोवैज्ञानिक आख्यान प्रस्तुत करती हैं वहीं विभिन्न अनुषंगों से युग व्यापी मूल्यहीनता, भ्रष्टता, सांप्रदायिक संकीर्णता, आाइ र्थक विपन्नता, मानवीय संबंधों की कृत्रिमता, अमानवीय स्वार्थपरता जैसी पारिवेशिक विशेषताओं का प्रभावी चित्रण करती हैं | ये कहानियों अपनी वस्तु और शिल्पगत नवता में संवेदनात्मक चेतना से संपन्न अभिनव पाठकीय संस्कार की तलाश करती प्रतीत होती हैं | -रामजी तिवारी
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