$12.13
Genre
Print Length
204 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2018
ISBN
8188266116, 9789386001757
Weight
365 Gram
ये कहानियाँ मेरे उपन्यासों के अंतराल की उत्पाद हैं; पर ये उपन्यास नहीं हैं-न आकार में और न प्रकार में| यद्यपि आज यह बात भी उठ रही है कि कहानी कोई विधा ही नहीं है| जो कुछ है वह उपन्यास ही है| आकार की लघुता में भी वह उपन्यास है-और विशालता में तो है ही| दोनों में कथा-शिल्प एक है|
मेरा ‘पात्र’ जिन ऊबड़-खाबड़ पगडंडियों पर ले चलता है वहाँ मैं अकेला नहीं होता| एक तो मेरा विवेक मेरे साथ होता है और दूसरे, मेरी कल्पना मेरे साथ होती है| विवेक रेखांकन करता है और कल्पना रंग भरती है| रेखांकन के बाहर उसका रंग नहीं जाता| विवेक कल्पना का नियंत्रण है, ‘पकड़’ है| जब कल्पना रेखांकन के बाहर जाने लगती है या वायवी होने लगती है तब विवेक कहता है, ‘ठहरो, कुछ सोच-विचार करो|’...और बाहर जाने की अपनी प्रकृति के बावजूद वह यथार्थ के दायरे में ही रहती है| तब वे चित्र बनते हैं, जिनके कुछ नमूने इस संग्रह में हैं|
-लेखक
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