$12.00
Genre
Print Length
192 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2011
ISBN
8188267732
Weight
350 Gram
उस दिन लिपस्टिक में सजी-धजी मृदुला देवी का मैंने एक और रूप देखा था| मुझे याद है, उस वक्त उनमें कितनी निष्ठा, कितना धैर्य था| हलकी सी हताशा भी जैसे उन्हें हराने में असफल थी| साड़ी का आँचल कमर में खोंसकर वे घर की साफ-सफाई में जुट गईं| ट्रंक, होलडॉल, बक्से-पिटारी, बिस्तर-तकिया-जो सामान उनके साथ आए थे, सब एक कोने में पड़े रहे| मृदुला देवी और मैंने मिलकर सामान धर-पकड़कर उस क्वार्टर को रहने लायक बना ही लिया| उसके बाद खाना पकाना! मृदुला देवी इतनी कर्मठ और काबिल महिला हैं, उस दिन अगर मैंने अपनी आँखों से न देखा होता तो मुझे कभी विश्वास नहीं आता| पसीने में नहाकर वे बिलकुल ही पस्त पड़ गई थीं|
-इसी संग्रह से ‘औरत का सफर’ कृति में ऐसी चार औरतों के सफर की कहानी है, जिनकी जिंदगी उन्हें अलग-अलग गंतव्य तक ले गई और उन्हें अलग-अलग फ्रेम में जड़ दिया| प्रख्यात बँगला साहित्यकार श्री बिमल मित्र कुशल कथा-शिल्पी व दिलचस्प किस्सागो हैं| प्रस्तुत है, चार रंगों में गुँथी हुई उनकी आकर्षक किस्सा-बयानी, जिनसे पाठक अभी तक अपरिचित थे|
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