$10.72
Genre
Print Length
112 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2013
ISBN
8188140244, 9788193433249
Weight
340 Gram
कालिदास के ग्रंथों में ‘रघुवंश’ का विशेष महत्त्व है| इसमें एक ओर ‘यथा-राजा तथाप्रजा’ के प्रमाण को आधार बनाकर राजचरितों के उदाहरण से सामान्य प्रजा के जीवन को चित्रित करने का प्रयत्न किया गया है और दूसरी ओर समाज के सामने कतिपय उत्तम प्रजापालकों का आदर्श भी उपस्थित किया गया है| कहने की आवश्यकता नहीं कि ऐसे आदर्शों का होना आज के युग के लिए अति आवश्यक है|
महाकवि कालिदास के काव्य प्राचीनकाल से ही इस देश के सांस्कृतिक जीवन को परिपुष्ट करते आए हैं| किंतु जैसे-जैसे संस्कृत भाषा का अध्ययन यहाँ क्षीण होता गया वैसे-वैसे कालिदास के काव्यों के पठन-पाठन की परंपरा भी लुप्त होती गई| इस कारण हमारे भीतर की भारतीयता में भी कमी होती आई है| अत: संप्रति हमारा यह दायित्व बनता है कि हम यथासाध्य नई पीढ़ी को अपनी संस्कृति की मूलभूत धाराओं की ओर उन्मुख करने का प्रयास करें| इसी उद्देश्य को केंद्र में रखकर इस बालोपयोगी पुस्तक की रचना की गई है|
हमें विश्वास है, ‘रघुवंश की कथाएँ’ कृति पाठकों को अपने सांस्कृतिक-पौराणिक इतिहास से तो परिचित कराएगी ही, उनमें आदर्श पुत्र, आदर्श शिष्य, आदर्श मित्र और आदर्श नागरिक बनने की भावना का भी संचार करेगी|
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