Deeksha (दीक्षा)

By Manu Sharma (मनु शर्मा)

Deeksha (दीक्षा)

By Manu Sharma (मनु शर्मा)

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Specifications

Print Length

136 pages

Language

Hindi

Publisher

Prabhat Prakashan

Publication date

1 January 2011

ISBN

8173154473

Weight

280 Gram

Description

“मैंने आपसे अपने शिष्य को दीक्षा देने का अनुरोध किया था|” “किसको दीक्षा?” “जिसको आपने शिक्षा दी है, एकलव्य को|” “उसको मैंने शिक्षा नहीं दी है|” आचार्य ने बड़ी रुक्षता से कहा, “उसे तो मेरे मूर्ति ने शिक्षा दी है| एकलव्य को यदि दीक्षा लेनी है तो उसी मूर्ति से ले|” अब तो हिरण्यधनु के रक्त में उबाल आ गया| वह भभक पड़ा, “आपने शिक्षा नहीं दी थी तो आप गुरुदक्षिणा लेनेवाले कौन थे?” उसने बड़े आवेश में एकलव्य का दाहिना हाथ उठाकर दिखाते हुए पूछा, “इस अँगूठे को किसने कटवाया था?” “बड़े दुर्विनीत मालूम होते हो जी| तुम हस्तिनापुर के आचार्य से जबान लड़ाते हो! तुम्हें लज्जा नहीं आती?” “लज्जा तो उस आचार्य को आनी चाहिए थी जिसने गुरुदक्षिणा ले ली, पर दीक्षा देने से मुकर गया|” अब हिरण्यधनु पूरे आवेश में था, “क्या यही उसकी नैतिकता है? क्या यही आचार्य-धर्म है?” “अब बहुत हो चुका, हिरण्यधनु! अपनी जिह्वा पर नियंत्रण करो| मैं तुम्हें दुर्विनीत ही समझता था, पर तुम दुर्मुख भी हो|”
“सत्य दुर्मुख नहीं होता, आचार्य, कटु भले ही हो| पर आप उस भविष्य की ओर देखिए जो आप जैसे आचार्य की ‘करनी’ के फलस्वरूप अपने संतप्त उत्तरीय में हस्तिनापुर का महाविनाश छिपाए है| आपकी ‘करनी’ का ही परिणाम है कि आप सब एक ज्वालामुखी पर खड़े हैं!” वनराज के इतना कहते-कहते ही एकलव्य ने अपने पिता के मुख पर हाथ रखा और उन्हें बलात् बाहर की ओर ले चला| -इसी पुस्तक से


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