Jaise Udi Jahaj Ko Panchhi (उडि जहाज को पंछी)

By Mridula Sinha (मृदुला शर्मा)

Jaise Udi Jahaj Ko Panchhi (उडि जहाज को पंछी)

By Mridula Sinha (मृदुला शर्मा)

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Specifications

Print Length

144 pages

Language

Hindi

Publisher

Prabhat Prakashan

Publication date

1 January 2013

ISBN

818814035X

Weight

255 Gram

Description

आपका चेहरा लाल देखकर फूला न समा रहा था| पर मुझे देख आपका मुँह क्यों सूज गया, भैया? मैं पोथी पढ़ा-लिखा तो नहीं, जानवर तथा चिड़िया की बोली, बादल-बिजली का रंग-ढंग, फसल की सेहत सब पढ़-समझ लेता हूँ| आदमी का चेहरा भी पढ़ लेता हूँ| आप किताबों के बीच रहते हैं न! मैं तो आदमी और इन गाय, भैंस, बैल, कुत्ता और तोता से घिरा रहता हूँ| बादल-बिजली के संग-संग उठता-बैठता हूँ|
-बात का गोला
उन शेर दिलों का गिड़गिड़ाना और उसका एहसानमंद होना कहीं घाव बनकर टीस रहा है उसके मन में| वयस कम है| वयस्क होने की दहलीज पर प्रथम चरण रखने ही वाला था कि वोट की राजनीति के दरिंदों ने उसके दिल पर ऐसी चोट कर दी कि कभी घाव न भरेगा|
-जुनून और जज्बात
अमेरिकन माता-पिता को अपनी संतान के संग-साथ के लिए तरसते कई युग बीत गए| हमारे यहाँ तो अभी इस तरस की शुरुआत ही हुई है| आनेवाले समय में तुम्हारे ड्राइंगरूम की दीवार पर सजी श्रवणकुमार की पेंटिंग का महत्त्व फिर हिंदुस्तान में भी बढ़ाने की आवश्यकता समझी जाएगी|
-पेंटिंग के बहाने
सुबह-सुबह ही कबूतरों के साथ और चिड़ियाँ सब भी आ जाती हैं| छोटे-छोटे माटी के सरोपा में पानी रख देती हूँ| एक-दो घूँट ही पी पाती हैं| चिड़ियों के उसपर बैठने से वे सरोपाएँ उलट जाती हैं| यह देखकर मुझे बहुत दु:ख होता है| तुम्हारा यह चमकौआ हार बेचकर क्या इतना पैसा मिलेगा कि मैं एक बड़ा परात खरीद सकूँ? सब चिड़ियाँ भी एक साथ पानी पी लें|
-बलेसर माई का तालाब


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