$12.20
Genre
Print Length
192 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2015
ISBN
9789381063415
Weight
370 Gram
विश्वविद्यालय की एक एकाकी महिला प्रोफेसर के यशस्वी जीवन में कालिख पोतने का अटूट सिलसिला जब अचानक ही शुरू हो जाता है, तो वह अबूझ भाव से उसे देखने के सिवाय कुछ नहीं कर पाती| आखिर कौन और क्यों इस तरह हाथ धोकर उनकी चरित्र-हत्या करने पर तुल गया है? विश्वविद्यालय के तमाम बड़े अधिकारियों के पास उन्हें लेकर गंदे ईमेल संदेश भेजे जाने का उद्देश्य क्या है? जीवन में अचानक आए इस भूचाल से वह इतनी किंकर्तव्यविमूढ़ हो जाती है कि अंतत: खुद को लेकर कुछ कठोर फैसले करने का मन बना लेती है| पर आई.पी.एस. अधिकारी के रूप में उसी शहर में तैनात उसकी पूर्व छात्रा उससे स्थिति को सँभालने के लिए कुछ समय माँगती है और फिर...|
आज के भौतिकवादी जीवन की तमाम विसंगतियों और भयावह यथार्थ-बोध से रूबरू करानेवाला यह उपन्यास आपको पृष्ïठ-दर-पृष्ïठ उन सच्चाइयों के कोलाज दिखाएगा, जिन्हें हम अपने आस-पड़ोस के दैनंदिन जीवन की आर्ट गैलरी में आए दिन देखते हैं| चटख और धूसर रंगों के संयोजन से बने इन चित्रों ने 'स्वाँग’ को एक अलग आकर्षण दे दिया है| नाना स्वाँग धरे हुए छद्मवेशियों ने आज आम आदमी का जीना किस कदर दूभर कर दिया है, यही संत्रास सामने लाना 'स्वाँग’ की तरल-सजल संवेदना है|
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