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Genre
Print Length
150 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2010
ISBN
9789380186221
Weight
305 Gram
“नाम जानकर क्या करेंगी, मैं बताए देती हूँ, ये शादी नहीं हो सकती|” वह बोली और उसने फोन पटक दिया| मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि हो क्या रहा है! दिल घबराने लगा, मन आशंकित हो गया| क्या होगा मेरा? अगर विपिनजी ने भी धोखा दे दिया तो! हे भगवान्, क्या करूँ मैं अब? मेरी बिटिया सुहानी इस दुनिया की झंझटों से अनजान बेखबर सोई हुई थी| मैंने विपिनजी को भी फोन नहीं किया, सोचेंगे कि मैं शक कर रही हूँ| सारी रात यूँ ही बेचैन गुजरी| सुबह पापा को सब बताया तो वे बोले, “बेटा, विपिनजी केंद्रीय स्तर के मंत्री हैं| उनके हजारों मित्र हैं तो कई दुश्मन भी होंगे| वही ये चालें चल रहे हैं| राजनीति के दाँव-पेंच तुम नहीं जानती, कुछ विरोधी पार्टीवाले ये ही चाहते हैं कि विपिनजी किसी-न-किसी चक्कर में फँसे रहें, बदनाम हो जाएँ| ये चालें हैं, इन्हें समझो, अब तुम भी इस दलदल में पाँव रख रही हो, बहुत सँभलकर होशियारी से चलना होगा, पग-पग पर बाधाएँ आएँगी|” -इसी संग्रह से स्त्रा् के मर्म और संवेदना की परत-दर-परत खोलतीं, नारी के संत्रास-दंश को दूर कर एक सकारात्मक चेतना जगाने की सशक्त अभिव्यक्ति हैं ये कहानियाँ| आज की भागमभाग की जिंदगी में तथा अंग्रेजी के जबरदस्त माहौल में सरलतम हिंदी में लिखी ये कहानियाँ पाठक को अपने से, किसी के दर्द से, किसी की यातना से मुलाकात का अवसर देंगी|
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