$11.78
Genre
Print Length
192 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2015
ISBN
9789383111411
Weight
340 Gram
‘गेहूँ और गुलाब’ 1948 से 1950 के बीच लिखे शब्दचित्रों का संग्रह है, जिसमें 25 शब्दचित्र हैं| इनमें समाज, परिवार, व्यक्ति, संस्कृति, प्रकृति, किसान, मजदूर, समाज के अपवंचितों-डोम, कंजर, घासवाली, पनिहारिन इत्यादि के चित्र हैं| लेखक ने उद्घोषित किया है ‘‘यह पुस्तक है और आंदोलन भी|’’ वस्तुत: इस पुस्तक के शब्दचित्र ‘हैंड कैमरा के स्नैपशॉट’ हैं-‘हाथी दाँत पर की तसवीरें’|
‘लाल तारा’ 1938 से 1939 के बीच लिखे गए शब्दचित्रों का संग्रह है, जिसके लिए लेखक ने लिखा है-‘‘लाल तारा मेरे शब्दचित्रों का पहला संग्रह है| इसका पहला रूप उस जमाने में लिखा था, जब मैं सिर से पैर तक लाल-लाल था|’’ इनमें 16 शब्दचित्र हैं| वस्तुत: निविड़ अँधकार और घने कुहासे के परदे को फाड़कर पूरब के क्षितिज पर जगमग-जगमग करने वाला लाल तारा नए प्रभात का, नए समाज का, नई मानवता का, नई संस्कृति का प्रतीक है|
‘सतरंगा धनुष’ मुख्यत: 1937 से 1939 के बीच लिखे गए ललित निबंधों का संग्रह है, परंतु बाद में 1954 में ‘बूढ़ा कुत्ता’ तथा ‘बाँसुरी बजाए जा’ जोड़ा गया था| इस पुस्तक में 11 निबंध सम्मिलित हैं| इन निबंधों में उत्तरांचल (बिहार) की मिट्टी की सोंधी महक, लोक-संस्कृति की जीवंतता, ग्राम्य परंपरओं की मूर्तता एवं प्रकृति के रंग-बिरंगे चित्र अपनी पूरी ऊर्जस्विता के साथ विद्यमान हैं| वस्तुत: यह संकलन उत्तर बिहार की उबड़-खाबड़, किंतु सहज जिंदगी की, उनकी सारी विषमताओं, रीति-रिवाजों, आस्था और विश्वासों का गद्यकाव्य है|
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