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Specifications

Print Length

205 pages

Language

Hindi

Publisher

Prabhat Prakashan

Publication date

1 January 2014

ISBN

9789350485644

Weight

370 Gram

Description

हिंदी गीत के शिखरपुरुष् आचार्य जानकीवल्लभ शास्त्री बडे़ गद्य-लेखक भी हैं| उनके द्वारा विरचित आलोचना, ललित निबंध, संस्मरण, नाटक, उपन्यास की कई पुस्तकें आईं और हिंदी-जगत् में ख्यात हुईं| रवींद्र, निराला, प्रसाद की श्रृँखला में एक विलक्षण गद्यकार के रूप में शास्त्रीजी को जो सम्मान ‌म‌िलना चाहिए, वह हद तक मलकर भी नहीं मिल पाया|
हिंदी समाज का बड़ा पाठक वर्ग जानकीवल्लभ शास्त्री के गद्य-लेखन का स्वाद लेता रहा है| उनके बीच कथा साहित्य की विशेष चर्चाएँ भी जमकर हुईं| शास्त्रीजी अपनी कथात्मक संघटना और काव्यात्मक संरचना में ऐसा गहरा तालमेल बनाते हैं, जिसमें कहानी भी नहीं छूटती है और शिल्प का नया कौशल सौंदर्य-आलोक से उद्दीप्‍त हो निखर उठता है|
कवि का भावावेश मर्मस्पर्शी दृश्यों से उभरता है, मगर समाज-संवेद्य चिंतक उसे व्यापकता देने में लिजलिजी संवेदना का नहीं, अपितु संयमित विचारों का संतुलित आधार प्रदान करता है| ‘बरगद के साये में’ जानकीवल्लभ शास्त्री के कहानी संग्रहों ‘कानन, अपर्णा, बाँसों का झुरमुट’ की कहानियों का एकत्र संग्रह है|
ये कहानियाँ परिवार, समाज और व्यक्‍त‌ि की त्रासद, संघर्षमयी तथा चारित्रिक विभिन्न मनोदशाओं को उद्‍घाटित करती हैं| निरंतर बिगड़ते और विघटित होते मूल्यों के बीच साहित्य के यथार्थ को प्रस्थापित करती, स्वाद का अनचखा बोध करानेवाली इन कहानियों में आज का समय प्रतिबिंबित है| बाँकपन और निजता के कारण इनकी अनुभूतियाँ सर्वथा अलग हैं|
-संजय पंकज


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