$10.58
Genre
Print Length
168 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2014
ISBN
9789382898474
Weight
330 Gram
‘माटी माँगे खून’ में जिन लोगों की कहानियाँ दी गई हैं, वे ऐसे लोग थे, जिन्होंने अपने साहस, शौर्य, सूझबूझ, पराक्रम और चारित्रिक उत्कृष्टता एवं निष्ठा के दम पर दया, प्रेम, करुणा, त्याग और बलिदान जैसे शाश्वत मानवीय मूल्यों को अक्षुण्ण बनाए रखने का स्तुत्य उपक्रम किया तथा अपने कर्तव्य-कर्म से इनसानियत को गौरवान्वित किया|
वे मरता मर गए, पर उसूलों से, अपने ईमान-धर्म से, देश-समाज-संस्कृति और शेष मानवता के प्रति अपने कर्तव्यों से कोई समझौता नहीं किया| उन्होंने अपने जमीर को जुल्मों के बीच भी जिंदा रखा| घोर यातनाएँ सहीं, वक्त की मार और समाज की विडंबनाओं का दंश झेला, पर मुख से उफ तक न निकाली|
आज जब पैसा-पद-प्रतिष्ठा का प्रलोभन सिर चढ़कर बोल रहा है और व्यक्ति देश, समाज, संस्कृति एवं परिवार से दूर, खुद से बेजार होता चला जा रहा है; उसकी आस्थाएँ, निष्ठाएँ खोखली तथा बेजान होती जा रही हैं; अपनी करनी से वह न सिर्फ अपने लिए बल्कि शेष समाज के लिए भी विग्रह व संत्रास उत्पन्न कर रहा है, ऐसे में इस मर्मस्पर्शी कहानियों की शीतल छाँव संताप को दूर करेगी व मानवता के प्रति लोगों में चेतना जाग्रत् करेगी|
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