$10.31
Genre
Print Length
207 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2017
ISBN
818826718X
Weight
310 Gram
छत्तीसगढ़ की संस्कृति का स्थायी भाव समन्वय और औदार्य रहा है| यहाँ के कहानीकारों की रचनाओं में ये भाव मुखर होते हैं| श्रीमती शशि तिवारी, श्री जगन्नाथ प्रसाद चौबे ‘वनमाली’, श्री प्यारेलाल गुप्त, श्री केशव प्रसाद वर्मा, श्री मधुकर खेर, श्री टिकेंद्र टिकरिया और श्री पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी सहित पुरानी पीढ़ी के साहित्यकारों की कहानियों से छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विशिष्टता पूरी भव्यता के साथ झाँकती है| उन्हीं दिनों सर्वश्री यदुनंदन प्रसाद श्रीवास्तव, स्वराज्य प्रसाद त्रिवेदी, घनश्याम, विश्वेंद्र ठाकुर, नरेंद्र श्रीवास्तव, नारायणलाल परमार, शरद कोठारी, हनुमंत लाल बख्शी, श्याम व्यास, प्रदीप कुमार ‘प्रदीप’, भारत चंद्र काबरा, प्रमोद वर्मा, चंद्रिका प्रसाद सक्सेना और देवी प्रसाद वर्मा सहित अनेक कथाकारों की कहानियाँ प्रकाश में आईं|
सन् १९५६ के बाद नई कहानी के दौर में शरद देवड़ा और शानी ने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई| कहानी के सचेतनवादी आंदोलन में मनहर चौहान सक्रियता के साथ सामने आए| ‘झाड़ी’ और कुछ अन्य कहानियों के प्रकाशन के साथ श्रीकांत वर्मा ने महत्त्वपूर्ण स्थान बनाया| श्रीमती कुंतल गोयल और श्रीमती शांति यदु की कहानियाँ भी चर्चित रहीं| इनके अलावा छत्तीसगढ़ के दूरस्थ कस्बों में रहकर कुछ रचनाकारों ने अच्छी कहानियाँ लिखीं, जो राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित रहीं|
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