$12.98
Genre
Print Length
215 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2012
ISBN
8188266892
Weight
350 Gram
फिर वह राज सिंहासन के नीचे आकर छोटे सिंहासन पर बैठ गया| बंदी जन विरुदावली कहने लगे| ब्राह्मणों ने मंगल-पाठ पढ़ा| तब महारानी ने खड़ी होकर अपने पति का लिखा पत्र सुनाया| पत्र मार्मिक था| सबने इस समय अपने पुराने शासक मानमोरी की प्रशंसा ही की| फिर पुरोहित सत्यनारायण कुछ कहने के लिए खड़े हुए-“श्रद्धेय महारानी, मान्य अतिथिगण और प्रिय मित्रो, आज बड़े हर्ष का दिन है| पूज्य महाराज मानमोरी का स्वप्न आज पूरा हो रहा है, वह भी महारानी की उपस्थिति में| प्रिय भोज का पराक्रम, उसकी प्रतिभा, उसका शौर्य, उसकी प्रजाप्रियता आप से छिपी नहीं है| युद्ध से जीतकर लाया हुआ सारा धन उसने आप सब में बाँट दिया| इससे अधिक प्रजा के प्रति उसका प्रेम और क्या हो सकता है| मेरा पूरा विश्वास है, वह सदा अपनी प्रजा को पुत्र की भाँति मानेगा| उनका दु:ख दूर करेगा और प्रजा भी उसे अपना ‘बाप्पा’ (पिता) समझेगी|...हम इस पवित्र अवसर पर इसीलिए उसे ‘बाप्पा रावल’ की उपाधि से विभूषित करते हैं| आज से यह हमारा भोज नहीं, बल्कि हमारा पूज्य ‘बाप्पा रावल’ है|”
-इसी पुस्तक से
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