$7.78
Print Length
184 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2016
ISBN
9789350484944
Weight
340 Gram
जाग उठी नारी शक्ति‘नारी’ और ‘शक्ति’ शब्दों को एक-दूसरे का पर्याय कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी, क्योंकि यह नारी की ही शक्ति है कि वह अपने जैसे नर-नारियों को जन्म देती है| जब नारी के साथ ‘शक्ति’ शब्द जुड़ जाता है तो वह दुर्गा का साक्षात् अवतार ही बन जाती है और उसमें घर, समाज व दुनिया में व्याप्त बुराइयों के विरुद्ध लड़ने की एक अदम्य शक्ति उत्पन्न हो जाती है|कहते हैं, अत्याचार की अति एक क्रांति को, एक नव-परिवर्तन को जन्म देती है|
प्रस्तुत पुस्तक की प्रत्येक अनुभूत कहानी में किरण बेदी ऐसी क्रांति, ऐसे नव-परिवर्तन को प्रत्यक्ष घटते हुए पाती हैं|
प्रस्तुत पुस्तक में सामाजिक व आर्थिक बुराइयों की अंदरूनी सच्चाई के साथ-साथ समाज की घरेलू समस्याओं, महिलाओं से जुड़े मामलों, पुलिस प्रताड़ना, नशा, कैशोर्य समस्याओं और अपराध आदि का विश्लेषण है| ये कहानियाँ समाज में व्याप्त उन असामाजिक लोगों को भी सावधान करती हैं, जो नारी शोषण करते और उसे प्रश्रय देते हैं| आज आधी आबादी की आवाज का दम नहीं घोंटा जा सकता| आज हर नारी शांति की ‘किरण’ है, जो बुराइयों के अँधेरे को अपनी अदम्य नारीत्व शक्ति से दूर करने के लिए कटिबद्ध है|नारी का सम्मान पुनर्स्थापित करने का एक विनम्र प्रयास है यह क्रांतिकारी पुस्तक|
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