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Genre
Print Length
464 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2012
ISBN
8173151067
Weight
675 Gram
कैसा है आज के टूटते-बिखरते गाँव का संपूर्ण सत्य- जिसमें लाखों-करोड़ों गवई मनई सांस्कृतिक खंडहरों में आर्थिक मार, सामाजिक उदासी और राजनीतिक प्रेत-बाधा के साथ विकासी मृगमरीचिका को इकट्ठे जीते हुए, अंधों की भाँति एक-दूसरे से टकरा रहे हैं| और इस व्यापक जटिल सत्य को इसकी संपूर्णता के साथ रचनात्मक स्तर पर प्रस्तुत करना क्या आसान है? इस कठिन कार्य को उठाया है विवेकी राय ने गहरी निष्ठा और असीम धैर्य के साथ, चकितकारी संतुलन-सामंजस्य के साथ तथा अपनी जादुई कलम के सारे जोर के साथ, प्रस्तुत कृति सोना माटी में| और यह दावे के साथ कहा जा सकता है कि इस महान् उपन्यास के बीच से गुजरना- एक अंचल, एक समाज, एक देश और एक समय के साथ अनुरंजनकारी विचारोत्तेजनाओं के रोमांच के बीच से गुजरना सिद्ध होगा|
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