$10.00
Genre
Print Length
140 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2010
ISBN
8188266604
Weight
285 Gram
आज की आपाधापीवाली जिंदगी में प्रतियोगिताएँ बहुत बढ़ गई हैं| शिक्षा व कैरियर के साथ लड़कियों के पास घर के काम-काज के लिए समय का अभाव है| दूसरी ओर घरेलू श्रम महँगा हो गया है| इन परिस्थितियों में अपनी किशोरी बेटी को ‘अपने हाथ जगन्नाथ’ का गुर सिखाना होगा| सपनों की दुनिया से बाहर के कटु यथार्थों से भी उसे परिचित कराना होगा कि वय:संधिकाल में वह भावना के प्रवाह में बहकर अपनी अस्मिता के तटबंधों के प्रति बेखबर न रह जाए, उसके भीतर कुछ बनने, कुछ कर दिखाने की तमन्ना जागे|
प्रसिद्ध लेखिका आशारानी व्होरा ने अपनी इस कृति में लेखन की नवीनतम पत्र-शैली में किशोर वय के विशेष प्रशिक्षण के लिए किशोरियों के साथ उनके स्तर पर संवाद स्थापित किया है| उनकी शंकाओं, प्रश्नों एवं दुश्चिंताओं का समाधान एक माँ, एक अंतरंग सहेली और मार्ग-निर्देशिका के रूप में किया है| किशोरियों के हृदय में झाँककर, मित्रवत् उन्हें विश्वास में लेकर उचित-अनुचित, करणीय-अकरणीय का बोध कराया है|
यह पुस्तक किशोरियों को उनकी देखभाल, सुरक्षा तथा जीवनोपयोगी शिक्षा देने के साथ ही उनका भरपूर मार्गदर्शन भी करेगी तथा उनमें निर्णय लेने की क्षमता को बढ़ाएगी|
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