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Specifications

Print Length

171 pages

Language

Hindi

Publisher

Prabhat Prakashan

Publication date

1 January 2010

ISBN

8188140937

Weight

345 Gram

Description

राष्ट्र के रूप में भारत की पहचान का मूल अधिष्ठान सांस्कृतिक है| विगत कुछ शताब्दियों से भारत की आन्तरिक क्षमता को कम करने, उसकी एकता-अखण्डता को छिन्न-भिन्न करने के उद्देश्य से हिन्दू मत पर लगातार प्रहार किये जा रहे हैं|
राष्ट्र के सांस्कृतिक विघटन तथा भौगोलिक अखण्डता को क्षति पहुँचाने के लिए मतान्तरण को सशक्त माध्यम बनाया गया है| मतान्तरण के माध्यम से ईसाइयत और इस्लाम के अनुयायियों की संख्या में वृद्धि की जा रही है, इससे देश में जनसंख्या-असन्तुलन पैदा हो गया है| सीमावर्ती प्रान्तों में यह असन्तुलन इतना बढ़ गया है कि वहाँ गम्भीर स्थिति पैदा हो गयी है|
हिन्दू मत पर आक्रमण करनेवालों ने हमारी दुर्बलताओं का भरपूर लाभ उठाया है| प्रस्तुत पुस्तक में मतान्तरण और उससे जुड़े सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, वैधानिक एवं व्यावहारिक पक्षों पर विभिन्न क्षेत्रों के विद्वानों ने अपने सारगर्भित विचार एवं अनुभव व्यक्त किए हैं|
निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि हिन्दू मत के समक्ष आन्तरिक व बाह्य, दोनों प्रकार की चुनौतियाँ हैं, जिनसे निपटने के लिए दोनों स्तरों पर प्रयास किए जाने की आवश्यकता है|
आशा है, सुधी जन पुस्तक का अध्ययन-मनन कर राष्ट्र के समक्ष विकराल रूप में खड़े मतान्तरण के खतरे की भयावहता को समझेंगे और इन चुनौतियों से निपटने के लिए किये जा रहे प्रयासों को बल देंगे| राष्ट्राभिमानी तथा चिन्तनशील प्रबुद्ध जनों के लिए एक उपयोगी-पुस्तक ‘मतान्तरण’|


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