ऊँचे पर्वतों पर अथवा ध्रुवीय प्रदेशों में मानव आबादियों से दूर, निर्जन प्रदेशों में वास करनेवाले ग्लेशियर बर्फ के निर्जीव पिंड नहीं हैं, वे ‘जीवित प्राकृतिक संरचनाएँ’ हैं| वे पृथ्वी पर पेयजल के सबसे बड़े भंडार हैं और अनेक विशाल नदियों के स्रोत हैं| वे हमें उस समय पानी देते हैं जब हमें उसकी सबसे अधिक आवश्यकता होती है| वर्तमान में पृथ्वी का लगभग दस प्रतिशत भाग ग्लेशियर-आच्छादित है, परंतु विभिन्न भूवैज्ञानिक कालों में उनका साम्राज्य घटता-बढ़ता रहा है| एक समय, जब भारत गोंडवानालैंड का भाग था, तब उसके अनेक मैदानी भागों पर उनका आधिपत्य था| आज भी ध्रुवीय-प्रदेशों और ग्रीनलैंड के बाद सबसे अधिक ग्लेशियर हिमालय पर्वत पर हैं| यद्यपि भूवैज्ञानिक कालों के दौरान विभिन्न प्राकृतिक कारणों से ग्लेशियर सिकुड़ते रहे हैं, परंतु वर्तमान में मानवजन्य कुकृत्यों के फलस्वरूप उनके सिकुड़ने की गति तेज हो गई है| अब उनकी सुरक्षा बहुत जरूरी हो गई है| प्रस्तुत पुस्तक में ग्लेशियरों के निर्माण, उनकी गतिविधियों के साथ-साथ हिमालय के ग्लेशियरों के अभिलक्षणों, उनके ह्रास के कारण और सुरक्षा के उपायों का वर्णन है| सरल-सुबोध भाषा शैली में लिखी तथा चित्रों से भरपूर यह पुस्तक विशेषज्ञों के साथ-साथ जनसाधारण को भी अवश्य रुचिकर लगेगी|
Glacier (ग्लेशियर)
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9.99
Condition: New
Isbn: 9788177210903
Publisher: Prabhat Prakashan
Binding: Hardcover
Language: Hindi
Genre: Other,
Publishing Date / Year: 2015
No of Pages: 150
Weight: 315 Gram
Total Price: $ 9.99
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