$20.00
Genre
Print Length
262 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2012
ISBN
9788173156298
Weight
425 Gram
मनु शर्मा के तीन उपन्यासों की श्रृंखला में यह दूसरा उपन्यास है| ‘समय साक्षी है’ का कालखंड आजादी से पूर्व का है| उस समय स्वतंत्रता आंदोलन जोरों पर था| बनारस में ‘नहीं रखनी सरकार जालिम, नहीं रखनी’ ऐसे गीत गाते हुए देश प्रेमियों के दल-के-दल दशाश्वमेध घाट से जुलूस निकालते हुए टाउन हॉल के मैदान में सभा के रूप में परिवर्तित हो जाते थे|
आजादी की लड़ाई में उफान उस समय आया जब 9 अगस्त, 1942 को बापू ने देश की जनता को ‘करो या मरो’ का नारा दिया| फिर क्या था-जनता सर पर कफन बाँधकर सड़कों पर उतर आई| गांधीजी गिरफ्तार कर लिये गए| दूसरे बड़े नेता भी रातोरात पकड़ लिये गए|
अजीब समाँ था-जेलें भरी जाने लगीं, अस्पतालों में बिस्तर खाली नहीं| गलियों में, सड़कों पर आबालवृद्धनारीनर सब पर आजादी पाने का जुनून सवार था| सरकारी भवनों से यूनियन जैक हटाकर तिरंगा फहराया गया| चारो तरफ अराजकता फैल गई थी| ‘अभी नहीं तो कभी नहीं’ की हद पार हो गई| रेलें रोकी जाने लगीं, संचार माध्यम नष्ट किए जाने लगे, सरकारी संपत्ति की लूट मची और पुलिस थानों पर कब्जा कर लिया गया|
स्वातंत्र्य समर के दौरान अगणित पात्रों, घटनाओं, विभीषिकाओं का जीवंत दस्तावेज है यह उपन्यास| उस काल की घटनाओं की बारीकियों को प्रस्तुत करता है-‘समय साक्षी है’|
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