Logo

  •  support@imusti.com

Ajneya Rachna Sagar (अज्ञेय रचना सागर)

Price: $ 26.98

Condition: New

Isbn: 9789350480434

Publisher: Prabhat Prakashan

Binding: Hardcover

Language: Hindi

Genre: Novels and Short Stories,Literature,

Publishing Date / Year: 2011

No of Pages: 584

Weight: 750 Gram

Total Price: $ 26.98

    0       VIEW CART

अज्ञेय रचना सागरसच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ के सृजन और चिंतन से संपन्न यह संचयन उनके सृजन के प्रति नई उत्सुकता और जिज्ञासा जगाने का प्रयत्‍न है| साहित्य की शायद ही कोई विधा हो, जिसमें कविवर रवींद्रनाथ टैगोर की तरह अज्ञेय ने नए रचना-प्रयोगों से नए प्रतिमान स्थापित न किए हों| हिंदी में उनसे पहले और उनके बाद ऐसा कोई साहित्यकार नहीं है, जिसने इतनी सारी विधाओं में इस ढंग की अगुआई की हो| भारतीय साहित्य में अज्ञेयजी अपने समय के साहित्य-नायक रहे हैं और विद्रोही स्वभाव के स्वामी होने के कारण भाषा, साहित्य, पत्रकारिता एवं संस्कृति के संबंध में पारंपरिक अवधारणाओं को ध्वंस करते हुए उन्होंने नए चिंतन की नींव रखी| हिंदी साहित्य में किसी विचारक ने साहित्य संबंधी इतनी बहसें नहीं उठाईं जितनी अज्ञेय ने| हमारी गुलाम मानसिकता को अज्ञेय का स्वाधीन चिंतन चुनौती देता रहा है| इसलिए उन पर न जाने कितने प्रहार हुए| लेकिन अज्ञेय अविचल भाव से प्रहारों-आक्षेपों, निराधार आरोपों को झेलते हुए नई राहों का अन्वेषण करते रहे| आज अज्ञेय को पढ़ने का अर्थ है-साहित्य की नई सोच से साक्षात्कार करना, उनके अस्तित्व से हिंदी में नए ढंग से प्रथम बार बाल-बोध पर चिंतन तथा आलोचना के क्षेत्र में सर्जनात्मक आलोचना का नवोन्मेष हुआ और साहित्यालोचन का बासीपन समाप्‍त हुआ| अज्ञेयजी ने ‘स्वाधीनता’ को चरम मूल्य स्वीकार किया है| उनका समस्त लेखन स्वातंत्र्य की तलाश के विभिन्न रूपों का दस्तावेज है| अज्ञेय के विशाल रचना-सागर के कुछ विशिष्‍ट मोती और सीप इस संचयन में संकलित हैं|